नई दिल्ली: अयोध्या मसले की सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आई है. सुप्रीम कोर्ट अब 26 फरवरी को अयोध्या मसले पर सुनवाई करेगा. सुनवाई कोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक 5 जजों- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ में मामला लगेगा.


इससे पहले 29 जनवरी को होने वाले अयोध्या मामले की सुनवाई टल गई थी. सुप्रीम कोर्ट में जिन पांच जजों की बेंच को इस मामले की सुनवाई करनी थी, उसके एक सदस्य जस्टिस एस ए बोबडे उस दिन उपलब्ध नहीं थे.


बता दें कि इस मामले में 10 जनवरी को भी सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई करने बैठी 5 जजों की बेंच में जस्टिस यु यु ललित की मौजूदगी पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने एतराज़ जताया था. जिसके चलते जस्टिस ललित ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था.


अयोध्या में जमीन विवाद को समझिए


अयोध्या में जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है, अयोध्या विवाद हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का बड़ा मुद्दा रहा है. अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर होने की मान्यता है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था.


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन हिस्सों में 2.77 एकड़ जमीन बांटी थी. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला, राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने जमीन बांटने के फैसले पर रोक लगाई थी. अयोध्या में विवादित जमीन पर अभी राम लला की मूर्ति विराजमान है.