वाराणसी: वाराणसी में 25 नवंबर से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में शुरू हुई परम धर्म संसद 1008 का मंगलवार को समापन हो गया. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आदेशानुसार धर्म संसद बुलाई गई थी. धर्म संसद में राम मंदिर का मुद्दा छाया रहा. मंदिर निर्माण पर अपनी बात रखते हुए स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि अयोध्या में रामलला का मन्दिर बन के रहेगा, लेकिन वह राम आर्दश राम का नहीं बल्कि आराध्य देव राम का होगा. यही हमारी भावना है और हमारा संर्घष भी इसी को लेकर है. स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि अब समय आ गया है जब मुस्लिम खुद हिन्दुओं को जन्मभूमि सौंप दें और मंदिर बनाने में सहयोग करें.


स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा, '' जन्म स्थान पर कोई परिवर्तन संभव नहीं है और मन्दिर बनना भी तय है. उन्होंने कहा कि अयोध्या की धर्म सभा में जुटने वाले राम को मनुष्य मानने वाले थे जो राम का पुतला बनाने में रुचि रखते है ना कि रामलला के मंदिर बनाने में. राम को मनुष्य मानना परमात्मा का अपमान है. उन्होंने कहा कि आज हिन्दुओं को धर्म के नाम पर बरगलाया जा रहा है. कोई उन्हें दस दस बच्चे पैदा करने की नसीहत दे रहा तो कोई नये-नये छद्म भगवान ही बना दे रहा है. उन्होंने कहा कि हिन्दु बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं, हम संयम और सदाचार के पोषक हैं.


शंकराचार्य ने कहा कि धर्म के नाम पर सभी भारतीय एक हैं और एक रहेंगे चाहे वह किसी भी जाति के हों. भगवान भक्त की जाति देखकर कृपा नहीं करते. भारत की प्राचीन सनातन संस्कृति को बचाना हमारा कर्तव्य है. कुछ लोग अब अयोध्या में अश्वमेघ यज्ञ की तैयारी में हैं, तो क्या वह वहां तांबें का घोड़ा लायेंगे. जब कोई काम विधि पूर्वक ना हो तो उसमें अनिष्ट हो ही जाता है. यह आयोजन किसी को नीचा दिखाने के लिए नही बल्कि सौ करोड़ सनातनियों की अधर्म से रक्षा करने के लिए किया गया है.


उन्होंने आगे कहा कि राम मंदिर धर्म शास्त्र के अनुसार बनाया जाएगा. मंदिर में भगवान की आराध्य रूप से प्राण प्रतिष्ठा होगी. हम सबको साथ लेकर मंदिर बनाएंगे और कोर्ट से हम अनुरोध करेंगे कि जल्द इसका निर्णय निकाले.


बता दें कि इस धर्म संसद में देश भर से साधु ,संत धर्माचार्य सनातन धर्म पर खुलकर अपने विचारों को रखने के लिए इकट्ठा हुए थे. जिसमें अयोध्या राम मंदिर, विश्वनाथ कॉरिडोर, गंगा निर्मलीकरण, गोरक्षा, गोहत्या, वैदिक शिक्षा और धर्म पर राजनीति के मुद्दों पर खुलकर विशेष रूप से चर्चा हुई. तीन दिन चली धर्म संसद में देश की दिशा और दशा पर मंथन किया गया.


सरकार पर हमलावर होते हुए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर मुद्दा सरकार केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठा रही है.अयोध्या में सभी इकट्ठा हुए लेकिन किसी ने तारीख नहीं बताई. उन्होंने सरकार पर साधु महात्माओं की संपत्ति को हड़पने की साजिश करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि चैरिटी एक्ट के द्वारा साधु महात्माओं की संपत्ति का वर्णन करने की जो साजिश हो रही है.