प्रयागराज. अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत सावन के महीने में हो सकती है. मंदिर के औपचारिक शिलान्यास कार्यक्रम में चातुर्मास का बंधन कतई आड़े नहीं आएगा. मंदिर निर्माण ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के मुताबिक़ चातुर्मास से सिर्फ विवाह जैसे मांगलिक काम नहीं होते, जबकि पूजा -अर्चना व मंदिर का शिलान्यास हो सकता है. राम मंदिर निर्माण की शुरुआत में चातुर्मास कोई बंधन नहीं है.


उनके मुताबिक़ सभी राम भक्तों की इच्छा है कि मंदिर का निर्माण जल्द शुरू हो और इसका औपचारिक शिलान्यास पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों हो. लोगों की इन इच्छाओं के मद्देनज़र ही अठारह जुलाई को ट्रस्ट की अहम बैठक होने जा रही है. इस बैठक में सहमति बनाकर शिलान्यास कार्यक्रम की तारीख तय की जा सकती है और साथ ही पीएम मोदी समेत अन्य मेहमानों की सूची भी तैयार हो सकती है.


स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का कहना है कि पीएम मोदी ने राम मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने में अहम भूमिका अदा की है. ऐसे में अगर वह रामलला के मंदिर निर्माण के शिलान्यास में शामिल होंगे तो प्रभु राम उनका और कल्याण करेंगे. उनके मुताबिक़ मंदिर के लिए पत्थर तराशने व दूसरे काम ज़ोर शोर से चल रहे हैं. औपचारिक शिलान्यास के बाद इसमें और तेजी आएगी. उनका कहना है कि जो भी कार्यक्रम होंगे, वह सोशल डिस्टेंसिंग की गाइडलाइन के मुताबिक़ होंगे और साथ ही शिलान्यास के बाद प्रभु राम चमत्कार कर देश और दुनिया से कोरोना की महामारी को पूरी तरह ख़त्म कर देंगे.


स्वामी वासुदेवानंद के इस बयान के बाद उन अटकलों पर विराम लग गया है, जिसमे यह कयास लगाए जा रहे थे कि चातुर्मास में शुभ काम होने की बंदिशों के चलते अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत अब चार महीने के लिए लटक सकती है. उन्होंने संकेत दिए हैं कि मंदिर का शिलान्यास सावन महीने के दूसरे पक्ष में किसी सोमवार या फिर छुट्टी के दिन किया जा सकता है.


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