पटना: बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री एवं राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने सोमवार को विपक्षी नेताओं से अपील की कि वे न्यूज चैनलों पर होने वाली उन बहसों से दूर रहें, जिनमें बीजेपी के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए विपक्ष को बदनाम करने की मुहिम चलाई जाती है. आरजेडी नेता ने विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे न्यूज चैनलों के इस अभियान के खिलाफ "एकजुट और सामूहिक" रुख अपनाएं.
तेजस्वी ने इस बाबत बीते 8 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बीएसपी प्रमुख मायावती, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र को अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा करते हुए कहा, ''साथियों! एक तरफ जहाँ हम भुखमरी, बेरोजगारी, किसान और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं वहीं मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग बीजेपी मुख्यालय द्वारा तय एजेंडे के तहत इन सरोकारों पर पर्दा डाल रहा है. आइए हम सामूहिक रूप से उन चैनलों का बहिष्कार करने का निर्णय लें.''
आरजेडी नेता ने अपने पत्र में लिखा है, ''मैं आप सबको ये पत्र कई न्यूज चैनलों पर शाम के वक्त होने वाली बहस को लेकर लिख रहा हूं. जैसा कि आप जानते हैं इन चैनलों पर हर रोज शाम के वक्त एक खास उद्देश्य के तहत विपक्षी पार्टियों को बदनाम करने का कुचक्र रचा जाता है, ऐसे में अब ये एक प्रत्यक्ष सत्य है कि मीडिया का एक बड़ा तबका बीजेपी को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रहा है.''
उन्होंने लिखा, ''किसी भी बहस में इस बात की उम्मीद की जाती है कि विपक्षी पार्टियां भी किसी मुद्दे पर अपनी राय रख सकेंगी. लेकिन जिस तरह से बहस को आगे बढ़ाया जाता है, उसमें साफ दिखता है कि उनका झुकाव सिर्फ एक पार्टी को फायदा पहुंचाने की तरफ है.''
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तेजस्वी ने लिखा, ''ऐसे हालात में मुझे नहीं लगता है कि इन न्यूज चैनलों पर निष्पक्ष बहस की कोई गुंजाइश भी बची है. इन बहसों में विपक्षी नेताओं की मौजूदगी सिर्फ इस वजह से रखी जाती है, जिससे कि वे अपनी झूठ पर फर्जी विश्वसनीयता का पर्दा डाल सकें. मुझसे कई सीनियर पत्रकारों ने भी कहा है कि ऐसे चैनलों में पत्रकारिता के मानदंडों को पूरी तरह से ताक पर रख दिया गया है.''
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर तेजस्वी के इस पत्र को साझा किया है.
बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने तेजस्वी के ट्वीट के जवाब में कहा, ''वो दिन भी याद कर लेना चाहिए जब सरकारी प्रसारक को 'इंदिरा दर्शन' और 'राजीव दर्शन' के नाम से देश की जनता पुकारती थी. इमरजेंसी के दौरान मीडिया पर प्रतिबंध याद है न? मीडिया को अपना काम करने दें.''
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