पटना: लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव पहली बार अपने पुराने सरकारी बंगले पर हुए शाही खर्च के आरोप पर जमकर बोले. तेजस्वी कैमरे पर तो नहीं आए लेकिन प्रेस रिलीज़ जारी कर नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी पर कई सवाल खड़े किए.


आरजेडी नेता ने कहा कि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी शुरू से हीन भावना से ग्रस्त नेता हैं. सुशील मोदी जैसे निहायती नकारात्मक व्यक्ति को कुछ नहीं सुझा तो सरकारी आवास के पेड़-पौधे और एसी गिन रहे हैं. ये ऐसी प्रवृति के इंसान है कि कुछ महीनों पहले नीतीश कुमार के बंगलों की खिड़की और दरवाज़े गिन रहे थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवासों, उनके द्वारा कब्जाए अवैध बंगलो और पेंशन को लेकर चिट्ठी भी लिखी थी.


तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार की तरह छल-कपट से कागजी डॉक्टरी कर किसी और का आवास अपने में नहीं मिलाया. सभी सरकारी आवासों में लॉन हैं लेकिन हमने अपने इक्स्पोज़र और अनुभव का प्रयोग कर उसी सरकारी आवास में उसी लॉन को तरकीब से हरे पेड़-पौधे लगा ख़ूबसूरत बना दिया तो इनके पेट में मरोड़े उठ रहे हैं. सुशील मोदी में हिम्मत है तो बताएं किस सरकारी आवास में सोफ़ा नहीं है? किस मंत्री के सरकारी आवास में एसी नहीं है? किस सरकारी आवास में बेड, रसोई, फ्रिज, गैस, डाइनिंग टेबल, पंखे, कुर्सी, आवासीय कार्यालय नहीं है? इंटीरियर डिज़ाइनिंग मेरा विषय है और अपनी कला का प्रयोग कर आवास को ख़ूबसूरत बनाने के लिए अगर सही कॉम्बिनेशन का प्रयोग किया है तो अपच हो गया है क्योंकि इन्हें लगता है यही ज्ञान के भंडार हैं. ज्ञान का कॉपीराइट नीरव मोदी और ललित मोदी जैसे लुटेरों वाली बिरादरी को ही है.


आरजेडी नेता ने आगे कहा, ''मोदी जी आपकी और मेरी उम्र में 40 साल का अंतर है तो स्वाभाविक है फ़र्क़ पसंद और रखरखाव का भी होगा. हम नए ज़माने के लोग हैं और इसी सोच के साथ बिहार को आगे ले जायेंगे. आप जैसों की आउटडेटेड और एक्सपायर्ड सोच से अब बिहार का भला नहीं होने वाला. आप नफ़रती नागपुरिया मेक के रूढ़िवादी और परंपरागत रूप से नकारात्मक क़िस्म की परिवेश से जन्मे नेता हैं. आपने जीवन में किसी विपक्षी के लिए कभी अच्छा और सच्चा बोला है क्या? आप लोग तो थूक कर चाटने वाले गिरोह के सरगना हैं. चंद दिन पहले आपके लिए नीतीश कुमार से ज़्यादा विश्वासघाती व मतलबी व्यक्ति कोई नहीं था और आज उनसे ज़्यादा विश्वसनीय. नहीं यक़ीन तो अपने पुराने बयान याद कर लीजिये?''


तेजस्वी यादव ने कहा कि हम ग़रीबों की राजनीति करते है और डंके की चोट पर करते हैं. पूंजीपतियों का साथ देने वाले दल और नेताओं की छाती पर चढ़कर ग़रीबों की बात करते हैं. ग़रीबों की राजनीति करने वाले क्यों इन तथाकथित महलों में नहीं रह सकते? क्या इनमें रहने का अधिकार आपके बाप-दादाओं से लेकर आपका ही है. संविधान और लोकतंत्र ने हमें यह अधिकार दिया है और इसी की खीज आप जैसे संघियों को है. अपने अंदर झांककर देखे, जितने भी भाजपाई मंत्री सरकारी आवास छोड़कर गए हैं.


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