पटना: लालू यादव के बाद आरजेडी की कमान तेजस्वी यादव को सौंप दी गई है. तेजस्वी ही अब पार्टी के सर्वेसर्वा बन चुके हैं और इसके लिए बड़े भाई तेज प्रताप को दरकिनार करने में भी परहेज नहीं है. तेज प्रताप यादव को पार्टी से धीरे-धीरे साइड लाइन किया जा रहा है और इसकी तस्वीर बीते मंगलवार को दिखी जब पार्टी की अहम बैठक में घर पर मौजूद होने के बावजूद तेज प्रताप यादव शामिल नहीं हुए. इसके बाद से ही भाइयों के बीच वर्चस्व की लड़ाई की सुगबुगाहट एक बार फिर से तेज हो गई है.


तेजस्वी यादव परिवार में किसी भी तरह की कलह से इंकार कर रहे हैं. तेजस्वी ने सफाई दी कि मीटिंग वाले दिन तेज प्रताप मथुरा से वापस लौटे थे और थके हुए थे जिस वजह से वो पार्टी की मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए.


दरअसल आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद से ही तेज प्रताप को नहीं बल्कि तेजस्वी को उनका उत्तराधिकारी माना गया. पार्टी ने भी तेजस्वी को हाथों-हाथ स्वीकार किया लेकिन इसका साइड इफेक्ट रह-रहकर देखने को मिलता रहता है. लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप का दर्द आए-दिन छलकता रहता है, पार्टी में हो रही उपेक्षा को लेकर कभी ट्विटर-फेसबुक तो कभी मीडिया के कैमरों पर तेज प्रताप अपना दुःख बताते रहते हैं. लेकिन लालू यादव की मध्यस्थता के बाद हर बार ये विवाद थमता दिखाई दिया, पिछले विवाद के बाद तो तेज प्रताप ने बकायदा खुद को कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन बताते हुए ये ऐलान किया था कि वो सत्ता की गद्दी छोटे भाई को सौंपेंगे और खुद पार्टी की कमान संभालेंगे.


लेकिन 11 सितम्बर को राबड़ी आवास में लोक सभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हुई पार्टी की अहम बैठक से तेज प्रताप नदारद दिखे. पहले लगा कि शायद तेज प्रताप कहीं बाहर होंगे लेकिन बाद में जानकारी सामने आई कि मीटिंग के दौरान तेज़ प्रताप घर में ही मौजूद थे. इसके बावजूद इसके न तो उन्हें मीटिंग में बुलाया गया और न ही उन्होंने मीटिंग में शामिल होने की कोशिश की. जिसके बाद से ही सत्ताधारी दल जेडीयू और बीजेपी हमलावर हैं और लालू परिवार में 'महाभारत' छिड़े होने का दावा कर रहे हैं. बीजेपी नेता मंगल पांडे ने कहा कि तेज प्रताप बड़े भाई हैं और तेजस्वी यादव छोटे हैं. ऐसे में किसी को भी बुरा लग सकता है. वहीं संजय सिंह ने कहा कि लालू यादव के परिवार में महाभारत की शुरुआत हो चुकी है. तेज प्रताप यादव बिहार के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. उनके भीतर भी नेता बनने की चाहत होगी.


तेज प्रताप यादव शुरू से ही अपनी पार्टी आरजेडी से ज़्यादा अपने छात्र संगठन DSS पर ध्यान देते आए हैं. जिस दिन ये आरजेडी की ये अहम मीटिंग थी उसी दिन तेज प्रताप का छात्र संगठन सिताब दियारा तक पदयात्रा निकालने वाला था. तेजस्वी को उसे हरी झंडी दिखानी थी लेकिन तेजस्वी ने उस कार्यक्रम से खुद को अलग रखा और आखिरकार पदयात्रा को हरी झंडी दिखाने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा.


पार्टी में उपेक्षा के दरमियान तेज प्रताप का पूरा फोकस अपने छात्र संगठन पर है, पार्टी से उन्हें पूरी तरह साइड लाइन किया जा रहा है लेकिन वो अभी भी अपने भाई के साथ मिलकर लड़ाई लड़ने की बात कह रहे हैं और भाई-भाई के बीच किसी भी तरह की अनबन से इंकार कर रहे हैं.