आरक्षण: समझें क्या है 13 प्वाइंट रोस्टर जिसके खिलाफ कल तेजस्वी दिल्ली में निकालेंगे मार्च
13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ आरजेडी अध्यादेश लाने की मांग कर रही है. तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को लिखे खुले पत्र में कहा कि रोस्टर की साजिश यह है कि जब तक किसी विभाग में 4 सीटें विज्ञापित नहीं होंगी, कोई ओबीसी प्रोफेसर नहीं बन पाएगा.
नई दिल्ली/पटना: यूनिवर्सिटी में आरक्षण को लेकर नए सिरे से सियासी हंगामा खड़ा हो गया है. लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने मोदी सरकार पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाते हुए कल (31 जनवरी) दिल्ली में मार्च निकालने का फैसला किया है. साथ ही आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.
तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, ''सभी साथियों से अपील है कि मनुवादी नागपुरी सरकार द्वारा बहुजनों का गला काटकर विश्वविद्यालयों में साजिशन 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने के विरोध में कल 31 जनवरी को मंडी हाउस से संसद मार्ग तक के विशाल पैदल मार्च में शामिल होकर इनकी ईंट से ईंट बजायें.''
13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ आरजेडी अध्यादेश लाने की मांग कर रही है. तेजस्वी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, ''रोस्टर की साजिश यह है कि जब तक किसी विभाग में 4 सीटें विज्ञापित नहीं होंगी, कोई ओबीसी प्रोफेसर नहीं बन पाएगा. सात सीटें एक साथ नहीं आएंगी, तो कोई दलित नहीं आ पाएगा और एकमुश्त 14 सीटें एडवर्टाइज नहीं हो पाएंगी तो कोई आदिवासी प्रोफेसर नहीं बन पाएगा. यह लंबी लड़ाई के बाद हासिल आरक्षण की नृशंस हत्या हुई है.''
प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र।
सभी साथियों से अपील है कि मनुवादी नागपुरी सरकार द्वारा बहुजनों का गला काटकर विश्वविद्यालयों में साज़िशन 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने के विरोध में कल 31,जनवरी को मंडी हाउस से संसद मार्ग तक के विशाल पैदल मार्च में शामिल होकर इनकी ईंट से ईंट बजायें। pic.twitter.com/79vwXngC8t — Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 30, 2019
तेजस्वी ने इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के हवाले से कहा है, ''43 केंद्रीय यूनिवर्सिटी में एक भी ओबीसी प्रोफेसर नहीं है. 95.2 प्रतिशत प्रोफेसर, 92.90 प्रतिशत एसोसिएट प्रोफेसर और 76.14 प्रतिशत एसिस्टेंट प्रोफेसर उच्च जाति के हैं. इन सब के बीच आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण उच्च जातियों को दिया जा रहा है.''
उन्होंने कहा, ''496 कुलपतियों में 6 आदिवासी, 6 दलित और 36 पिछड़े हैं, बाकी 448 कुलपति उच्च जाति के हैं. आखिर कब तक सबको समुचित प्रतिनिधित्व मिलेगा.''
13 प्वाइंट रोस्टर पर कैसे शुरू हुआ विवाद? पहले यूनिवर्सिटी को एक इकाई माना जाता था और इसी आधार पर आरक्षण लागू होता था. लेकिन बाद में यूजीसी ने नए नियम के मुताबिक आरक्षण को विभाग वार लागू किया जाएगा. पहले वेकैंसी 200 प्वाइंट रोस्टर के हिसाब से निकलती थी लेकिन अब 13 प्वाइंट रोस्टर बना दिया गया है. यूजीसी के इस नियम पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुहर लगाई. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने भी 13 प्वाइंट रोस्टर को सही करार दिया. अब पुराने नियम के पक्षधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाए जाने की मांग कर रहे हैं.
13 प्वाइंट रोस्टर में क्या है? यूजीसी के मुताबिक, 14 से कम पद जहां होंगे वहां 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होगा और उससे अधिक सीटें होंगी तो 200 प्वाइंट रोस्टर लागू किया जाएगा. 13 प्वाइंट रोस्टर में बताया गया है कि कौन से वर्ग के लिए कौन सा क्रम होगा.
इसके मुताबकि, पहला, दूसरा और तीसरा पद अनारक्षित होगा. जबकि चौथा पद ओबीसी कैटेगरी के लिए. फिर पांचवां और छठां पद अनारक्षित. इसके बाद 7वां पद अनुसूचित जाति के लिए, 8वां पद ओबीसी और फिर 9वां, 10वां, 11वां पद अनारक्षित के लिए. 12वां पद ओबीसी के लिए, 13वां फिर अनारक्षित के लिए और 14वां पद अनुसूचित जनजाति के लिए होगा.
यानि अब किसी यूनिवर्सिटी में चार पदों के लिए वेकैंसी निकलती है तब जाकर ओबीसी को, सात पदों की निकलती है तो अनुसूचित जाति को और 14 पदों की निकलती है तो अनुसूचित जनजाति को मौका मिलेगा.
आमतौर पर यूनिवर्सिटी के किसी एक विभाग में चार पांच से अधिक सीटें नहीं होती है. 13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इसी बहाने सरकार आरक्षण पूरी तरह से खत्म करना चाहती है.
200 प्वाइंट रोस्टर में एक से लेकर 200 नंबर तक आरक्षण कैसे लागू होगा इसका ब्योरा होता था. इसके तहत 49.5 प्रतिशत आरक्षण लागू होता था और बांकी की सीट अनारक्षित होती थी. विपक्षी पार्टियां और दलित कार्यकर्ता 200 प्वाइंट वाले पुराने रोस्टर की मांग कर रहे हैं.