गोरखपुर: सब्‍जी बेचने वाले का बेटा चंद समय में मार्ट का मालिक बन गया. आस-पड़ोस के लोगों को भी इस बात की हैरानी रही है. किसी ने कभी सवाल नहीं किया. लेकिन, जब सच्‍चाई सामने आई, तो लोगों के होश उड़ गए. आखिरकार पुणे से रमेश शाह एटीएस के हत्‍थे चढ़ ही गया. वो साढ़े तीन माह से एटीएस की रडार पर था. एटीएस ने उसे पुणे से गिरफ्तार किया है. इसके पहले 10 आरोपियों को पहले ही टेरर फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है.


गोरखपुर के अलग-अलग इलाकों से यूपी एटीएस ने 10 लोगों को 24 मार्च को गिरफ्तार किया था. लेकिन, इसके पहले 6 मार्च को ही शक होने पर रमेश शाह ने शहर छोड़ दिया था. 1 साल पहले उसने शहर के असुरन चौक के आगे मेडिकल रोड पर सत्‍यम मार्ट खोला था.


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इस मार्ट में 1 से डेढ़ करोड़ रुपए उसने लगाए थे. सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर मोहद्दीपुर चार फाटक पर सालों से सब्‍जी की दुकान लगाने वाले हरिशंकर के बेटे रमेश शाह के पास इतने रुपए कहां से आ गए कि वो एकाएक मार्ट का मालिक बन बैठा.


बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हरिशंकर अपनी पत्‍नी सुशीला के साथ 30 साल पहले गोरखपुर आए तो यहीं के होकर रह गए. उनके परिवार में बड़े बेटे रमेश शाह के अलावा एक छोटा बेटा और तीन बे‍टियां हैं. दो बेटियों की वे शादी कर चुके हैं.


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गोरखपुर के शाहपुर थानाक्षेत्र के बिछिया के सर्वोदयनगर कालोनी में उन्‍होंने जमीन तो खरीद ली. लेकिन, मकान नहीं बनवा पाए. मोहद्दीपुर चारफाटक ओवरब्रिज के नीचे बरसों से सब्‍जी की दुकान चलाने वाले हरिशंकर की दुकान ठीक-ठाक चलती है. परिवार का भरण-पोषण ठीक से हो जाता है.


पुलिस ने उन्‍हें भी इस मामले में उठाया था. उनसे उस समय चार दिन तक शाहपुर थाने में रखकर पूछताछ की गई थी. पुलिस ने उनका पहचानपत्र, आधारकार्ड और मोबाइल भी अपने पास रख लिया था. पुलिस उनसे बस यही पूछती रही कि उनके बेटे रमेश शाह के पास इतने रुपए कहां से आए कि उसने मार्ट खोल लिया.


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पुलिस ने उनके सभी रिश्‍तेदारों और जानने वालों का नाम और पता भी उस समय नोट किया था. हरिशंकर के बड़े बेटे रमेश शाह ने सात माह पहले मेडिकल कालेज रोड पर सत्‍यम मार्ट नाम से सुपर मार्केट खोला था. रमेश शाह ने दो शादियां की हैं. पहली पत्‍नी से उसे दो बच्‍चे भी हैं.


हालांकि वो पहली पत्‍नी और बच्‍चों को किराए पर लिए गए मकान में रखता है. जहां से एटीएस ने बिहार के गोपालगंज के रहने वाले मुकेश को गिरफ्तार किया था. दूसरी पत्‍नी उसके मां-बाप के घर पर रहती रही है.


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हरिशंकर और उनकी पत्‍नी सुशीला के मुताबिक रमेश 6 मार्च को दिल्‍ली में साली की शादी में शामिल होने की बात कहकर निकला और उसके बाद से उसका उनसे कोई संपर्क नहीं था. हरिशंकर ने बताया कि वो जब भी बाहर काम पर जाता है तो 15 से 20 दिन तक उससे कोई संपर्क नहीं रहता है.


इसी वजह से उस समय उन्‍होंने गुमशुदगी भी दर्ज नहीं कराई थी. उन्‍होंने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि पत्‍नी सुशीला ने बेटे को 10 लाख रुपए मॉर्ट खोलने के लिए दिए थे. उसके अलावा उसने प्रापर्टी डीलिंग और कंपनी में काम करने के दौरान पैसा जमा किया था.


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रिश्‍तेदारों और जानने वालों से भी उसने कर्ज लिया था. हरिशंकर को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं है था कि उनका बेटा किसी भी गलत काम में शामिल होगा. रमेश शाह की मां सुशीला देवी बताया कि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे घर बनवा सकें. इसलिए टीनशेट का कच्‍चा मकान बनाकर ही रहते हैं.


उनका बड़ा बेटा रमेश शाह भी उनके साथ ही रहता रहा है. वो 25 दिन पहले साली की शादी में शामिल होने के लिए दिल्‍ली गया था. उसके बाद से अभी तक नहीं लौटा है. वे बताती है कि अक्‍सर वो काम पर बाहर जाता रहा है और 15 से 20 दिन बाद ही वापस लौटता है.


एक साल पहले उसने असुरन-मेडिकल कालेज रोड पर सत्‍यम मार्ट के नाम से सुपर मार्केट खोला था. उन्‍होंने बताया कि उसने प्रॉपर्टी डीलिंग और कंपनी में काम से पैसे जुटाए थे. उन्‍होंने भी 10 लाख रुपए उसकी मदद के लिए दिए थे. हालांकि उसके फरार होने के बाद से ही मार्ट बंद चल रहा है.


टेरर फंडिंग के मामले में 10 लोगों की गिरफ्तारी के बाद भी एटीएस की रडार पर कई ऐसे सफेदपोश हैं, जिन्‍होंने कम समय में अकूत संपत्ति अर्जित की है. ऐसे लोग जिनके तार किसी न किसी माध्‍यम से पाकिस्‍तान में बैठे आतंकियों के भारत में मौजूद स्‍लीपर सेल से जुड़े हुए हैं.


गोरखपुर से मोबाइल विक्रेता भाईयों नसीम-अरशद, मुशर्रफ उर्फ निखिल राय, सुशील राय, दयानंद और मुकेश की 24 मार्च को गिरफ्तारी के बाद से सब्‍जी विक्रेता के बेटे रमेश शाह की भी एटीएस को तलाश रही है.