गोरखपुर: टेरर फंडिंग मामले में रमेश शाह का नाम मास्टरमाइंड के रूप में सामने आया है. रमेश गोरखपुर में रहता था. शहर में वो सत्यम मार्ट के नाम से शॉपिंग कॉम्पलेक्स चलाता था जो 5/6 मार्च से बंद चल रहा है. इस मार्ट के मकान मालिक दिलशाद का कहना है कि पिछले 4 महीने का रेंट बकाया है और जब रमेश मार्ट बंद कर बाहर जा रहा था तो उसने मकान मालिक को बताया कि उसके पत्नी के रिश्तेदारी में शादी है, कुछ दिन बाद वापस आ जाएंगे.


लेकिन जब समय बीतता गया तो मकान मालिक दिलशाद ने बात की. 7 मई को व्हाट्सएप पर मैसेज आया कि वो किसी फर्जी मामले में फंस गया है जल्द ही लौट के पैसे दे देगा. रमेश शाह के पड़ोसियों को इस पर यकीन ही नहीं हो रहा कि वो टेरर फंडिंग का मास्टरमाइंड है.



क्या है मामला


गोरखपुर टेरर फंडिंग मामले में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र पुलिस के एटीएस ने एक जॉइंट ऑपरेशन रमेश शाह को पुणे से गिरफ्तार किया है. रमेश शाह आतंकवादी संगठनों के लिए पैसे की व्यवस्था करता था. एटीएस महानिरीक्षक असीम अरुण ने बताया कि उसे ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जा रहा है जहां उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा और फिर पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाएगा.


इस मामले में छह लोग शामिल थे जो पकिस्तानी हैंडलर के कहने पर इंटरनेट के जरिए अलग-अलग बैंक खातों में पैसे डालते थे. इन छह लोगों को 24 मार्च को गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया था. 28 साल का रमेश शाह इस गैंग का सरगना है. रमेश शाह बिहार के गोपालगंज का रहने वाला है.


एटीएस अधिकारी ने कहा कि शाह के इशारे पर पाकिस्तानी हैंडलर और आतंकवादी ऑपरेटरों के बीच एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि का आदान-प्रदान हुआ. बड़ी रकम मध्यपूर्व, जम्मू एवं कश्मीर, केरल से आती है और इसका वितरण विभिन्न राज्यों में किया जाता है.