वाराणसी: यूपी में आवारा जानवरों की समस्या विकराल होती जा रही है. सीतापुर में आदमखोर कुत्तों का आतंक मचा हुआ है. वहीं वाराणसी के लोग बंदरों के उत्पात से परेशान हैं. ऐसे हालातों में भी नगर निगम और वन विभाग एक दूसरे के सिर दोष मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ने में जुटे हैं.
बंदरों के झुंड के उत्पात के चलते एक बच्चे की जान पर बन आई है. रविवार को शहर के पॉश इलाकों में शुमार गणेश धाम कॉलोनी में बंदरों के झुंड ने एक 13 वर्षीय बच्चे को घेर लिया. आधे घंटे तक बंदर बच्चे पर झपट्टा मारते रहे और बच्चा मदद की गुहार लगाता रहा. किसी तरह बंदरों के चंगुल से आजाद होकर जख्मी बच्चा अपने परिजनों के पास पहुंचा.
आदमखोर कुत्तों से बच्चों को बचाने के लिए सीएम ने दिए निर्देश
रविवार को बिरदोपुर इलाके के रहने वाले सुमित मुखर्जी अपनी ससुराल नेवादा इलाके में स्थित गणेश धाम कॉलोनी गए हुए थे. शाम को उनका 13 वर्षीय बेटा सुमित मुख़र्जी सामान लेने घर से बाहर निकला. लौटते समय अचानक उसे 30 बंदरों के झुंड घेर लिया. बंदरों को देख बच्चे ने उन्हें खदेड़ने की कोशिश की तो बंदर उग्र हो गए.
बंदरों ने सुमित पर झपट्टा मारना शुरू कर दिया. सुमित जमीन पर गिर पड़ा और बंदर उस पर झपट्टा मारते रहे. करीब आधे घंटे की संघर्ष के बाद सुमित बंदरों के चंगुल से आजाद होकर घर वापस लौट पाया. बंदरों के झपट्टा मारने के चलते उसके शरीर पर कई जगह जख्म हो गए थे. परिवार के लोगों ने नजदीकी अस्पताल में ले जाकर उसका इलाज कराया.
यूपी के छह शहर दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की सूची में
वाराणसी में बंदरों के आतंक की यह कोई पहली घटना नहीं है. इसी साल फरवरी में रामनगर इलाके में बंदरों के उत्पात के चलते एक बच्ची की जान चली गई थी. रामनगर के गोलाघाट की रहने वाली 13 वर्षीया आरिबा अपने घर की छत पर थी, तभी उसे बंदरों ने घेर लिया था. दहशत में आरिबा ने छत से छलांग लगा दी थी. इससे वह बुरी तरह जख्मी हो गई थी. तीन दिन बाद बीएचयू ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था.
बंदरों के आतंक की इस ताजा घटना के बाद नगर निगम के पार्षदों ने फैसला किया है कि वे बंदरों की धर-पकड़ करने के लिए नगर आयुक्त से मिलेंगे. बंदरों की धर-पकड़ के लिए जिम्मेदार नगर-निगम और वन विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने में लगे हुए हैं.
यूपी में खूंखार कुत्तों का आतंक, 12 बच्चों को नोच खाया, कई जख्मी
वन क्षेत्रधिकारी अशोक राय का कहना है कि वन विभाग के पास बंदरों को पकड़ने के लिए अपनी कोई व्यवस्था नहीं है. उनके मुताबिक़ इसके लिए अलग से कोई स्टाफ या बजट भी नहीं है. शहरी क्षेत्र में बंदरों के उत्पात मचाने पर उन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है. इसके लिए उन्हें वन विभाग से संपर्क करना होगा.
वहीं इस ममाले में अपर नगर आयुक्त मोतीलाल सिंह का कहना है कि नगर निगम के पास बंदरों की धर-पकड की कोई व्यवस्था नहीं है. बंदरों को पकड़ने के लिए बाहर से टीम बुलाई जाती है. बंदरों को पकड़ने का काम वन विभाग का है, नगर निगम बंदरों को पकड़ने में वन विभाग का पूरा सहयोग करेगा.