अपने गृहराज्य जौनपुर जाने के लिए निकली 58 साल की महिला की घंटो धूप में खड़े रहने से हुई मौत
58 साल की महिला को सिस्टम की नाकामी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. महिला को घंटो धूप में खड़ा रहना पड़ा जिसकी वजह से उनकी तबीयत खराब हुई और उनका निधन हो गया.
मुंबई: देश मे कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. वही इस महामारी को रोकने के लिए सरकार द्वारा किये गए अधूरे इंतजाम की कीमत भी कुछ लोगों को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ रही है. वसई पश्चिम से ऐसी ही एक दर्दनाक खबर सामने आई है. नाकाम सिस्टम की बदइंतज़ामी के चलते एक 58 साल की बुज़ुर्ग महिला को अपनी जान गवानी पड़ी.
दरअसल, 26 मई को पालघर के वसई रेलवे स्टेशन से मज़दूरों को उनके राज्य वापस भेजने के लिए यूपी के जौनपुर, भदोई और गोरखपुर के विशेष श्रमिक ट्रेन चलाई गई. जिसके लिए सभी मजदूरो को वसई के सनसिटी ग्राउंड में इकट्ठा किया गया. इस मजदूरो की भीड़ मव नालासोपारा की रहने वाली विद्योत्तमा शुक्ला (58 ) भी मौजूद थीं. विद्योत्तमा शुक्ला अपने बेटे, बहु और नाती के साथ यूपी के जौनपुर जाने सुबह घर से निकली थी. सनसिटी ग्राउंड में हज़ारो मजदूरो की भीड़ में विद्योत्तमा कई घंटे चिलचिलाती धूप में खड़ी रही. जिसके कारण विद्योत्तमा अचानक से चक्कर खाकर जमीन पर गिर गईं.
विद्योत्तमा के बेटे विनय शुक्ला तुरंत अपनी मां को स्तानीय पुलिस के मदत से पास के बंगली अस्पताल में लेकर गए, जहां 58 साल की महिला की मौत हो गई. विनय ने बताया के उनकी मां बीपी की मरीज थी. विनय का कहना है कि ''डॉक्टर ने उन्हें बताया के उनके मां की तबीयत घंटो धूप में खड़े होने के कारण खराब हुई है. सुबह से मां कई घंटों धूप में ट्रेन का इंतजार कर रही थी, जिसके चलते उनकी तबीयत खराब हुई. माँ की उम्र 58 थी तो सोचा था के उन्हें गांव ले जाऊंगा तो वहां सुरक्षित रहेंगी लेकिन यहां तो खराब सिस्टम ने ही मां की जान ले ली.''
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