लखनऊ: बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की अपील, मंदिर के बारे में भड़काऊ बयानों पर न दें कोई जवाब
कमेटी के संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जीलानी ने कहा कि जैसा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तय कर चुका है कि अगर मंदिर निर्माण के लिये संसद में कोई अध्यादेश लाया जाएगा तो उसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. उम्मीद है कि कोर्ट अंतिम फैसला आने तक विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखेगा.
लखनऊ: अयोध्या में राममंदिर का मुद्दा गरमाने की वजह से बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (बीएमएसी) भी सक्रिय हो गई है. इसे लेकर मंगलवार को राजधानी लखनऊ में बैठक हुई है. इस दौरान किसी भी भड़कऊ बयानबाजी पर प्रतिक्रिया नहीं देने की बात कही गई है. बैठक में करीब 70 सदस्यों ने हिस्सा लिया. कमेटी के संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जीलानी की मानें तो राममंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाए जाने की आशंकाओं के बारे में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया. बैठक में अदालती कार्यवाही पर संतोष जाहिर किया गया.
बैठक में यह भी राय बनी कि जैसा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तय कर चुका है कि अगर मंदिर निर्माण के लिये संसद में कोई अध्यादेश लाया जाएगा तो उसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. उम्मीद है कि कोर्ट अंतिम फैसला आने तक विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखेगा.
जीलानी के मुताबिक, इसके लिए कार्ययोजना तय की गई है कि ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों तक यह बात पहुंचाई जाए कि मंदिर मामले को लेकर अभी तक उनका रवैया संतोषजनक रहा है और आगे भी वह इसी तरह धैर्य से काम लें. लोग धार्मिक भावनाएं भड़काकर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं, उनके मंसूबे कामयाब ना हों इसका ध्यान रखा जाना चाहिए.
बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर पर सियासी बयानबाजी और खींचतान के बीच सुप्रीम कोर्ट में चार जनवरी को सुनवाई होगी. शीर्ष अदालत के रुख के बाद तय होगा कि सरकार राम मंदिर पर क्या कदम उठाती है. राम मंदिर को लेकर बीजेपी पर हिंदू वादी संगठनों, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और शिवसेना का दबाव है. सभी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में हो रही देरी की दलील देते हुए संसद के माध्यम से कानून लाए जाने की मांग कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के मद्देनजर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लखनऊ में बैठक बुलाई है. सूत्रों के मुताबिक, चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जब राम मंदिर पर सुनवाई होगी तो सरकार केस की नियमित सुनवाई की मांग करेगी. कोर्ट में सरकार की ओर से कहा जा सकता है कि राम मंदिर मामले में जनभावनाओं को देखते हुए कोर्ट को इस मुकदमे की सुनवाई जल्द पूरी करनी चाहिए.
29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जनवरी में सुनवाई करने का निर्णय लिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में अयोध्या के विवादित स्थल के तीन हिस्से कर राम लला, निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम वादी में बांट दिया था. जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. हिंदूवादी संगठनों ने सीधा तौर पर सुनवाई में देरी का आरोप लगाया है.
पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक निजी टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना इस मामले की सुनवाई हो, तो राम मंदिर का मसला 10 दिन में खत्म हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा था, ''सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जो भी आए, देश के सभी लोग अयोध्या में राम मंदिर देखना चाहते हैं.''