गोरखपुर: कड़कनाथ मुर्गे का नाम सुनकर जुबान पर उसका स्वाद आना लाज़मी है. लेकिन, ये सीएम सिटी के लोगों की पहुंच से अभी तक दूर रहा है. मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके में मिलने वाला ये मुर्गा अब गोरखपुर के बाजारों में भी उपलब्ध है. मुर्गा खाने के शौकीन अब इसका स्वाद भी ले सकते हैं.


मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र झाबुआ और धार जिले में पाए जाने वाला 'कड़कनाथ' मुर्गा अब अपने शहर में भी बिकने लगा है. शहर के रेती चौक मदीना मस्जिद के पास फैमिली चिकन शॉप में 'कड़कनाथ' ₹1200 में बिक रहा है.


दुकान के मालिक ज़ियाउल्लाह उर्फ मुन्नू ने बताया कि मध्य प्रदेश से 'कड़कनाथ' मुर्गा मंगाया गया है. पहली बार तीस मुर्गे का आर्डर दिया गया है. मुर्गे दुकान पर उपलब्ध हैं. 'कड़कनाथ' की कीमत ₹1200 है. एक मुर्गे में करीब डेढ़ किलो गोश्त निकलेगा. 'कड़कनाथ' को 'कालीमासी' भी कहते हैं.


उन्होंने बताया कि इसका गोश्त, चोंच, कलंगी, जुबान, टांगे, नाखून चमड़ी सभी काले होते है. इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है. वहीं वसा बहुत कम होता है. यही वजह है कि इसे औषधीय गुणों वाला मुर्गा माना जाता है. बीमार और ऐसे लोग जिन्हें डॉक्टर ने फैटी मांस खाने से मना किया है, वे इसे खा सकते हैं. इसके गोश्त में फैट नहीं होता है. ये प्रोटीन और आयरन से भरपूर होता है.


ज़ियाउल्लाह ने बताया कि जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, उस हिसाब से ऑर्डर मंगवाया जाएगा. 'कड़कनाथ' की मांग सर्दियों के दिनों में देश ही नहीं, विदेशों में भी होती है. हमेशा याद रहने वाले लजीज स्वाद आदि के लिए पहचाने जाने वाले कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों की मांग काफी बढ़ गई है. वे कहते हैं कि देखते हैं गोरखपुर में इसकी कितनी डिमांड होती है.


उन्होंने बताया कि कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति के तीन रूप होते हैं. पहला जेड ब्लैक होता है. इसके पंख पूरी तरह से काले होते हैं. इस मुर्गे का आकार पेंसिल की तरह होता है. इस शेड में कड़कनाथ के पंख पर नजर आते है. गोल्डन कड़कनाथ मुर्गे के पंख पर गोल्डन छींटे दिखाई देती हैं. उन्होंने बताया कि उनके यहां 'बटेर' भी तीन रंग में बिक रही है. एक बटेर की कीमत ₹70 है. इसे बरेली से मंगवाया जा रहा है.


'कड़कनाथ' मुर्गे की तासीर गर्म होती है. इसे ऐसी ग्रेवी के साथ पकाया जाता है, जिसकी तासीर ठंडी हो. इसमें मुर्गे को पहले उबाला जाता है और ग्रेवी को अलग से बनाया जाता है. इसमें घी, हींग जीरा मेथी, अजवाइन के साथ ही धनिया पाउडर डाला जाता है. इसके बाद दोनों को मिलाकर मुर्गे को पकाया जाता है. यह पकने में आम मुर्गे ज्यादा वक्त लेता है. हालांकि इसका मांस काफी नर्म होता है. अच्छी तरह पकने के बाद इसका मांस आसानी से खाया जा सकता है.


'कड़कनाथ' मुर्गे को रोस्टेड तरीके से भी बनाया जा सकता है. इस विधि में चिकन पीसेस को गर्म मसालों में मिलाकर एक नर्म कपड़े से लपेटा जाता है. इसे आटे से अच्छी तरह से लपेटकर कवर किया जाता है. इसके बाद इसे आंच या अंगारों पर रखकर भूना जाता है. 15-20 मिनट तक भूनने के बाद आटे और कपड़े की परत हटाकर खाया जाता है. पकने के बाद ये खूब स्वादिष्ट लगता है.