गोरखपुर: हज यात्रियों की मुराद बस पूरी होने ही वाली है. करीब छह माह से मुकद्दस हज की तैयारियां अब रंग लाने वाली हैं. हज यात्रियों का पहला जत्था शनिवार की शाम लखनऊ हज हाउस के लिए रवाना हुआ. लेकिन, विश्व के सबसे बड़े प्लेटफार्म पर उस समय अफरातफरी मच गई, जब अचानक प्लेटफार्म चेंज होने का अनाउसमेंट हो गया. बजुर्ग हज यात्रियों को व्हीलचेयर नहीं होने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. इस बीच प्लेटफार्म पर अफरा-तफरी का माहौल हो गया.


हर मुसलमान की ये ख्वाहिश होती है कि वह हज यात्रा पर जाए. हज करते हुए अल्लाह के घर यानी खाना-ए-काबा और पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के रौजा-ए-मुबारक की जियारत करे. गोरखपुर से हज यात्रियों का पहला जत्था शनिवार की देर रात कृषक एक्सप्रेस से रवाना हुआ. हज यात्रियों को कृषक एक्सप्रेस के प्लेटफॉर्म नंबर एक बार आने की सूचना मिली थी. लेकिन अचानक से प्लेटफार्म नंबर दो पर ट्रेन के आने की सूचना प्रसारित कर दी गई.


उसके बाद जब ट्रेन आने का समय हुआ तो ट्रेन के प्लेटफॉर्म नंबर 6 पर आने का अनाउंसमेंट होने लगा. इस बीच प्लेटफार्म नंबर एक से दो और फिर 2 से 6 पर जाने में हज यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई. बुजुर्ग यात्रियों को खासकर सीढ़ियां चढ़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. व्हीलचेयर नहीं होने के कारण उन्हें भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा.


ये हज यात्री रविवार 28 जुलाई को लखनऊ से शाम 4:25 और 6:55 बजे हवाई जहाज के जरिए सऊदी अरब के लिए रवाना हो जाएंगे. शनिवार को गोरखपुर जक्शन के प्लेट फार्म नंबर एक से कृषक एक्सप्रेस के जरिए अधिकतर हज यात्री लखनऊ के लिए रवाना हुए. वहीं कुछ सुबह इंटरसिटी एक्सप्रेस से भी गए हैं. जिले के सैकड़ों हज यात्री लखनऊ हज हाउस पहुंच गए हैं. चयनित लिस्ट के बचे हुए हज यात्री 29 जुलाई और 3 और 4 अगस्त को लखनऊ हवाई अड्डे से सऊदी अरब के लिए रवाना होंगे.


शनिवार देर रात जिले के हज यात्रियों का काफिला जब ट्रेन के जरिए लखनऊ के लिए रवाना हो रहा था, तब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक का नजारा देखते ही बन रहा था. हज यात्रियों को छोड़ने के लिए परिजन, रिश्तेदार, दोस्त व पड़ोसी बड़ी संख्या में जुटे रहे. हज यात्रियों को फूल-माला पहनाकर मुकद्दस हज के सफर के लिए रवाना किया गया. हज यात्रियों से लोग खास दुआ व पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के दरबार में सलाम पेश करने की दरख्वास्त करते नजर आए.


जिले से इस बार करीब 465 हज यात्री मुकद्दस हज के सफर पर जा रहे हैं, जिसमें 16 वर्ष से कम के 2 और 65 वर्ष से अधिक के 72 हज यात्री शामिल हैं. अबकि बार जिले में ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक दर्जन से अधिक बार हज ट्रेनिंग हुई. रविवार को गज़ाला परवीन, मो. जाहिद अली, फिरोजुल हक, मो. फुरकान, नूर आलम, मदीना खातून, इम्तियाजुल हक, इबरत जहां, हाजरा खातून, अफजल अली, रेहाना खातून, मो. फैज अली, इकबाल आलम, मो.तारिक, रुखसाना खातून, मौलाना मोहम्मद शरीफ, जलालुद्दीन, ताहिरुन निशा सहित सैकड़ों खुशनसीब हज यात्री सऊदी अरब के लिए रवाना हो जायेंगे.


हज यात्री मांगेंगे हिन्दुस्तान में तरक्की, अमन व भाईचारगी की दुआ


खूनीपुर की रहने वाली 40 वर्षीय गजाला परवीन अपने परिवार के सात लोगों के साथ हज यात्रा पर जा रही हैं. वह कहती हैं कि यह मेरी खुशनसीबी है कि अल्लाह और रसूल ने मुझे हज के लिए चुना. बस जल्द ही मक्का व मदीना शरीफ पहुंचने का तमन्ना है. खूब दुआएं मांगनी है. मुल्क, परिवार और जुल्म का शिकार लोगों के लिए वे दुआ करेंगी. हज के तुफैल मक्का-मदीना शरीफ में मौजूद तमाम पवित्र स्थानों को देखने व जानने का मौका मिलेगा.


तकिया कवलदह अशरफ कालोनी के रहने वाले रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी इकबाल आलम अकेले हज करने जा रहे हैं. वे बेहद खुश हैं. इकबाल कहते हैं कि मक्का-मदीना शरीफ की यात्रा नसीब वालों को ही मिलती है. पहली बार हज यात्रा के लिए आवेदन किया और पहली बार में ही चयनित हो गया. हज करके हिन्दुस्तान की खुशहाली, अमन शांति और भाईचारगी की दुआ मांगूगा. दीन और दुनिया संवर गई तो जिंदगी कामयाब हो गई.


खूनीपुर के 12 वर्षीय मो. फुरकान सपिवार हज यात्रा पर जा रहे हैं. आरपीएम सिविल लाइन में पढ़ने वाले फुरकान कहते हैं कि अल्लाह और रसूल का करम है कि इतनी कम उम्र में सपरिवार हज करने की तौफीक मिली. खूब इबादत करके दुआएं मांगूगा नेक और अच्छा बनने की. मुकद्दस मकामात की जियारत भी करुंगा.


गुलशने कादरिया मस्जिद असुरन पोखरा भेड़ियागढ़ के नायब इमाम मौलाना मोहम्मद शरीफ बसडीला रौसढ़ के रहने वाले हैं. हज यात्रा पर छोड़ने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. कहते हैं सभी की आंखें नम थी. सब लोग दुआ व बारगाहे रिसालत में सलाम पेश करने की गुजारिश कर रहे थे. दिल बहुत खुश है. हर मुसलमान की एक ही तो ख्वाहिश है काबा शरीफ व गुंबदे खजरा का दीदार करे.


शहीद अब्दुल्लाह नगर रसूलपुर के नूर आलम व मदीना खातून कहते हैं कि अल्लाह का करम हो गया हम मक्का और मदीने चले. सभी मुसलमानों की बस एक ही धुन है कि मक्का-मदीना शरीफ में इबादत करके मुकद्दर संवारने की दुआ मांगनी है.


गाजी रौजा के रहने वाले 25 वर्षीय मो. फैज अली अपने पिता मो. जाहिद अली मां हाजरा खातून को हज यात्रा पर ले जा रहे हैं. चेहरे पर हज यात्रा पर खुशी है. कहते हैं कि हज के दौरान खूब इबादत कर अपने मुल्क में अमनो सलामती की दुआ करुंगा. मॉब लिंचिंग से निजात की भी दुआ करूंगा.


पूर्वोत्तर रेलवे के सांख्यिकी विभाग में आफिस सुपरीटेंडेंट के पद पर कार्यरत 46 वर्षीय फिरोजुल हक हज यात्रा पर जाने से बेहद गदगद हैं. सपरिवार हज यात्रा पर जा रहे हैं. कहते हैं कि हज के दौरान पूरी दुनिया में अमन व शांति की दुआ करनी है.


बक्शीपुर में कापी-किताब का बिजनेस करने वाले घोसीपुर निवासी मो.तारिक बेहद खुश हैं और अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे हैं. वह अपनी पत्नी रुखसाना खातून के साथ हज पर जा रहे हैं. कहते हैं कि मुल्क व परिवार में खुशी रहे व अल्लाह सभी को हाजी बनाए इस वास्ते से दुआ करुंगा.


दीन-ए-इस्लाम में हज फर्ज है


हाफिज रहमत अली निज़ामी ने बताया कि हज दीन-ए-इस्लाम का आखिरी फरीजा है. जिसे अल्लाह ने सन् 9 हिजरी में फर्ज फरमाया. जो मालदारों पर फर्ज है और वह भी जिंदगी में सिर्फ एक बार. अल्लाह का इरशाद है कि अल्लाह की रज़ा के लिए लोगों पर हज फर्ज है, जो उसकी इस्तिताअत रखे.