वृंदावन: आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा-वृंदावन में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. यहां कृष्ण मंदिरों में खूब रौनक देखने को मिल रही है. भगवान के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. मथुरा-वृंदावन की पावन धरती और मंदिरों के साथ एक जगह और भी है जहां आज भी भगवान कृष्ण लीलाएं करते हैं, गोपियों संग रास रचाते हैं. हम बात कर रहे हैं निधिवन की जो अपने आप में बहुत से रहस्य समेटे हुए हैं. वृंदावन के लोगों के मुताबिक निधिवन को गुरु हरिदास ने बसाया था और उनकी भक्ति और संगीत से खुश होकर भगवान कृष्ण निधिवन में अवतरित हुए थे.


वृंदावन के निधिवन की मान्यता है कि इस वन में कान्हा ने गोपियों के साथ रासलीला की थी और आज भी कान्हा रात में अपनी गोपियों के संग इस निधिवन में रासलीला करते हैं. लेकिन ना तो इसे किसी ने अब तक देखा है और ना ही कोई देख सकता है. क्योंकि ये प्रभु की इच्छा है.


निधिवन जाने पर वहां लिखी कहानी और लोगों से पता चलता है कि ये महज बातें नहीं बल्कि सच्चाई है. वन के आस-पास बने घरों में खिड़कियां बहुत कम देखने को मिलेंगी. लोगों का मानना है कि भगवान की लीलाओं का देखने की कोशिश करने वाला इंसान सामान्य नहीं रह जाता. लोग बताते हैं कि वो लोग जिन्होंने ये देखने और पता करने की कोशिश की वो या तो पागल, गूंगे हो गए या तो उनकी मृत्यु हो गई.


यहां तक कि इस रहस्य का पता लगाने के लिए एक विदेशी चैनल ने अपनी टीम भेजी, टीम ने दिनभर मेहनत करने के बाद निधिवन के कोने-कोने में कैमरे लगाए ताकि इस रहस्य से पर्दा उठाया जा सके. शाम होते ही उन लोगों को वहां से बाहर निकलने को कह दिया गया क्योंकि वहां का नियम ही यही है. शाम के बाद वहां किसी को ठहरने की इजाजत नहीं होती. लिहाजा टीम बाहर आ गई और सुबह का इंतजार होने लगा. अगले दिन सुबह जब टीम निधिवन पहुंची तो सब आवाक रह गए. उन्होंने देखा कि कैमरे जमीन पर पड़े थे और जो लगे हुए थे उनमें कुछ रिकॉर्ड ही नहीं हुआ था.


कहते तो यहां तक हैं दिन भर निधिवन में पशु पक्षियों का शोर रहता है लेकिन शाम होते ही वो यहां से गायब हो जाते हैं. दिनभर चिड़ियों की चहचहाहट और बंदरों की उछल-कूद से गुलजार रहने वाले निधिवन को शाम होते ही अजीब से सन्नाटे घेर लेते हैं. निधिवन का रहस्य आज भी एक रहस्य ही है.


लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के पेड़ो की भी एक खासियत है कि इनमें से किसी भी पेड़ के तने सीधे नहीं है. इनकी डालियां नीचे की ओर झुकी और आपस में गुथी हुई हैं. मान्यता है कि ये पेड़ भगवान कृष्ण की 16000 रानियां हैं, जिन्होंने भगवान के साथ रहने का वरदान मांगा था.