पटना: बिहार की राजधानी पटना में पिछले साल आई बाढ़ के बाद पैदा हुई जलभराव की स्थिति से शहरवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस परेशानी को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुदरत का कहर करार दिया. हालांकि सरकार द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट पटना हाईकोर्ट को सौंप दी गई है. जिसमें जलभराव के लिए कुसूरवार अधिकारियों का पूरा ब्यौरा दिया गया है.


क्या है पूरा मामला?


दरअसल पिछले साल सितंबर में बिहार राज्य के अधिकांश हिस्सों में तीन दिनों तक लगातार बारिश हुई. जिसका असर पूरे बिहार पर हुआ. इस बाढ़ के कारण पटना में रह रहे लोगों का जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया. साथ ही लोगों के घर में पानी भर गया. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा बिहार के विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया गया. इस समिति ने पटना में बारिश के कारण हुए जल जमाव का उपाय, नालों की सफाई, भविष्य में जल जमाव के उपाय पर चर्चा की और इसका निष्कर्ष निकाला.


जिम्मेदारी किसकी- ये बात आई सामने


पटना में नालों की सफाई, जल निकासी के लिए पंपों की मरम्मत आदि की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है. पटना नगर निगम प्रशासन ने तैयारियां नहीं की. साथ ही नालों की सफाई नहीं करवाई. जिसके कारण ये स्थिति बनी. पानी निकालने के की जिम्मदारी जिन अधिकारियों को दी गई थी उनमें तत्कालीन प्रबंध निदेशक अमरेन्द्र प्रसाद सिंह, मुख्य अभियंता (जलापूर्ति ड्रेनेज एवं सीवरेज) भवानी नंदन, अधीक्षण अभियंता, रामचन्द्र प्रसाद और कार्यपालक सुदर्शन प्रसाद सिंह के नाम शामिल हैं.


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