नई दिल्लीः ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) की कार्यकारिणी की मीटिंग आज नबिरा-ए-आला हजरत मौलाना तौकीर रज़ा ख़ां की सदारत में दरगाह आला हजरत पर हुई जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए और केंद्र की सरकार को मजहबी मामलों में नही बोलने की चेतावनी दी गई. जदीद बोर्ड की मीटिंग में आज एक बड़ा फैसला लिया गया जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को रद्द कर दिया गया.


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर आरोप बीजेपी और आरएसएस से मिला है बोर्ड


देश भर के मौलानाओं की 2 घण्टे तक चली मीटिंग में ये फैसला लिया गया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आरएसएस और बीजेपी से मिला हुआ है. बोर्ड लगातार धर्म के मामलों में जैसे 3 तलाक़, हलाला पर गलत बयानबाजी कर रहा है. देश भर से आए उलेमा-ए-इकराम ने आम राय से फैसला किया कि पुराना बोर्ड अपनी जिम्मेदारियों से भटक चुका है. उसके बयान और उसके फैसले मुसलमानों के लिए मुश्किलों का सबब बन रहे हैं और इस्लाम के विरोधी ताकतों को बढ़ने का मौका दे रहे हैं इसलिए उलमा-ए-इकराम ने कदीम बोर्ड से बेज़ारी का इजहार किया और पुराना बोर्ड रद्द कर दिया गया.


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर आरोप बीजेपी और आरएसएस से मिला है बोर्ड


वसीम रिजवी नास्तिक वो मुसलमान नहीं
इस्लाम समलैंगिक संबंधों की इजाज़त नहीं देता
हर जिले में दारुल इफ्ता मौजूद तो शरिया अदालत की क्या जरूरत
हुकूमत को अधिकार नही है शरई मामलों में बोलने का
जदीद बोर्ड की मीटिंग में देश भर से आये उलेमाओं ने कहा कि पुराने बोर्ड ने शरई अदालत के बयान की मजम्मत की है उन्होंने कहा जब हर जिले में दारुल इफ्ता मौजूद है जहां शरीयत के मुताबिक फैसले होते हैं तो ऐसे में लोकतांत्रिक देश मे दो-दो अदालतों की जरूरत नही है.



हुकूमत को अधिकार नही है शरई मामलों में बोलने का
बोर्ड की मीटिंग में सरकार को चेतावनी दी गई कि वो शरई मामलों में दखलंदाजी न करें. उलेमाओं ने कहा कि निकाह, तलाक, हलाला, जैसे मामले खालिस मज़हबी मामले हैं इन पर सरकार को बोलने की इजाज़त नहीं है. अल्लाह ने जो शरई हदे मुकर्रर की हैं वही शरई कानून है जो उससे आगे बढ़ गया और कुरान, हदीस का इंकार किया वह इस्लाम से खारिज हो जाएगा.


वसीम रिजवी नास्तिक वो मुसलमान नहीं
मुरादाबाद से आये मुफ़्ती मोहम्मद रईस असरफ ने कहा कि वसीम रिजवी राम मंदिर बनाने की बात करते हैं इसलिए वो नास्तिक हैं मुसलमान नहीं. उन्हें इस्लाम से खारिज किया गया है. इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी के बारे में कहा कि वो हमारे मजहब के नहीं हैं उन्हें हमारे मामलों में बोलने का कोई अधिकार नही है, न हम उनकी कोई बात मानेंगे.


निदा को शरई मामलों पर बोलने का अधिकार नहीं
आला हजरत खानदान की बहू निदा खान मुस्लिम महिलाओं के हक़ की लड़ाई लड़ रही हैं. वो 3 तलाक़, हलाला और बहू विवाह जैसी कुरीतियों का लगातार विरोध कर रही हैं. जिस वजह से आज बोर्ड में कहा गया कि निदा खान को शरई मामलो में बोलने का कोई अधिकार नही है. उन्हें कुछ कहना है तो वो दारुल इफ्ता में आकर अपनी बात कहें उसे जरूर सुना जाएगा.


इस्लाम समलैंगिक संबंधों की इजाज़त नही देता
बोर्ड की मीटिंग में मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि समलैंगिक संबंधों की इस्लाम में कोई जगह नहीं है. इस्लाम में समलैंगिकता हराम है.