मेरठ: हापुड़ रोड पर एक मीट फैक्ट्री के कुएं में डूबकर तीन मजदूरों की मौत हो गई. मीट फैक्ट्री के इस कुएं में कटान के बाद जानवरों के अवशेष डाल दिये जाते थे. लंबे समय से बंद पड़े कुएं की सफाई के लिए मजदूर इसमें उतरे थे लेकिन कुएं में मौजूद गैस से उनका दम घुट गया और उनकी मौत हो गई.


कंपनी के लोग शवों को एक निजी अस्पताल के बाहर फेंककर फरार हो गए. बाद में लोगों ने शवों को हापुड़ रोड पर रखकर जाम लगा दिया.

मेरठ के पूर्व सांसद शाहिद अख़लाक़ के भाई राशिद अख़लाक़ की अल-यासिर नाम से मीट फैक्ट्री हापुड़ रोड पर अल्लीपुर गांव के पास है. मानकों के विपरीत चल रही इस मीट फैक्ट्री को कई महीने पहले जिला प्रशासन के एक छापे के बाद बंद कर दिया गया था.

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बताया जा रहा है सीलिंग के बाबजूद मीट फैक्ट्री के एक हिस्से में मुर्गीदाना बनाने का काम जारी था. मीट फैक्ट्री में आने वाले 4 मजदूरों को एक कुएं की सफाई के लिए लगाया गया था. करीब 40 फ़ीट गहरे इस कुएं में जानवरों के कटान के बाद बचे अवशेष डाले जाते थे.



एक-एक करके मजदूरों को लीलता रहा कुआं

कुएं की सफाई से पहले कई महीनों बाद उसका मुंह खोला गया था. पास के बिजौली गांव का मजदूर जोगेंद्र सबसे पहले कुएं में उतरा. कुएं में मौजूद गैस को वजह से मलबे में पैर रखने से पहले ही वह बेहोश हो गया और डूब गया. इसके बाद गुड्डू और अजय बारी-बारी से कुएं में जोगेंद्र को निकालने के लिए उतरे लेकिन गैस के असर से बेहोश होते चले गए.

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चौथे मजदूर सतवीर ने जब यह मंजर देखा तो चिल्लाना शुरू किया. सतवीर ने बताया कि टैंक के अंदर सीढ़ी से उतरा गुड्डू अचानक बेहोश होकर सिल्ट में जा धंसा. उसे बचाने के लिए योगेंद्र और फिर अजय गए तो वे भी बेहोश होकर गिर गए. तीनों की मौके पर ही मौत हो गई.



आधे घंटे तक मदद के लिए नहीं आया फैक्ट्री प्रबंधन

अपने तीन साथियों को कुएं में डूबा हुआ देख सतवीर मदद के लिए चीखता रहा लेकिन किसी ने उसकी मदद के लिए हाथ आगे नही बढ़ाया. जब वह दौड़कर मैनेजर के केबिन की ओर गया तब वहां मौजूद गार्ड्स ने उसकी बात सुनने के बाद कुएं की ओर रुख किया.

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बड़ी मशक्कत के बाद तीनों को कुएं के मलबे से निकाला जा सका. सतवीर का आरोप है, कर्मचारियों ने उसका मोबाइल छीन लिया और कई घंटे बाद प्लांट मैनेजर सलाउद्दीन और पलटू शवों को छोटा हाथी (टैम्पो) में डालकर एल-ब्लॉक शास्त्रीनगर स्थित जगदंबा अस्पताल में छोड़कर फरार हो गए जहां डॉक्टरों ने बताया कि तीनों की मौत हो चुकी है.



कार्रवाई के लिए पुलिस अफसरों की चौखट पर पहुँचे पीड़ित

मीट फैक्ट्री में मौत का शिकार बने तीनों मजदूर दलित है. फैक्ट्री मालिक राशिद अख़लाक़ के रसूखों के चलते अस्पताल पहुँची पुलिस तीनों शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी ले गई. लेकिन घटना के बारे में न तो प्रबंधन से पूछताछ की और न ही पीड़ितों से.

पुलिस के इस रवैये से आहत मजदूरों के गांववाले एसएसपी आवास पहुँचे. उनकी मांग थी कि फैक्ट्री मालिक के खिलाफ कार्रवाई हो और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलाया जाए. एसएसपी ने इस मामले में अफसरों को वैधानिक कार्रवाई करने के आदेश दिए है.

मौके पर एसपी देहात राजेश कुमार, एडीएम (ई) रामचंद्र, सीओ जितेंद्र सरगम आदि ने लोगों को समझाया-बुझाया. डीएमके अनिल ढींगरा ने कहा कि मामले की जांच एडीएम (ई) और एसपी देहात को दी गई है. जांच रिपोर्ट आने पर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.



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