मेरठ: यूपी में प्रवक्ता बनने के लिए दिव्यांग करेंगे 600 से 800 किमी का सफर
सैकड़ों अभ्यर्थियों का परीक्षा केन्द्र यूपी के एक छोर से दूसरे छोर पर रखा गया है. मेरठ और आसपास के जिलों से हजारों अभ्यर्थी इलाहाबाद, वाराणसी, झांसी, ललितपुर और पूर्वी उत्तर-प्रदेश के सरहदी जिलों में परीक्षा के लिए जाएंगे. पूर्वी उत्तर-प्रदेश के अभ्यर्थियों के परीक्षा केन्द्र मेरठ और सहारनपुर जैसे पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के जिले बनाए गए है. यह दूरी 600 से आठ सौ किमी तक है.
मेरठ: उत्तर-प्रदेश लोकसेवा आयोग का एक फैसला सूबे के दिव्यांगो के लिए मुसीबत बन गया है. आयोग 29 जुलाई को इंटर कालेजों में एलटी ग्रेड प्रवक्ता की भर्ती परीक्षा आयोजित करा रहा है. इस परीक्षा के लिए 600 से 800 किमी दूर तक परीक्षा केन्द्र रखे गए हैं. इस परीक्षा में दिव्यांगों को भी लंबा सफर तय करना पड़ेगा.
मेरठ के दिव्यांग गुलजार कैसे जाएंगे ललितपुर?
मेरठ निवासी दिव्यांग गुलजार को भी इस परीक्षा में शामिल होना है. 20 जुलाई को आयोग की ओर से उनके फोन पर आए एक मैसेज में बताया गया कि उनका परीक्षा केन्द्र ललितपुर जिले में है. गुलजार ने परीक्षा केन्द्र की सही लोकेशन जानने के लिए 21 और 22 जुलाई को आयोग की वेबसाइट से एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए सैकड़ो बार जतन किए लेकिन वेबसाइट को खोलना तक मुश्किल हो रहा है. ऐसे में गुलजार को नहीं मालूम पड़ सका कि ललितपुर जिले के किस हिस्से में उनका परीक्षा केन्द्र है.
इतनी जल्दी कैसे होगा लंबे एक्जाम-टूर के इंतजाम
गुलजार ही नहीं, सैकड़ों अभ्यर्थियों का परीक्षा केन्द्र यूपी के एक छोर से दूसरे छोर पर रखा गया है. मेरठ और आसपास के जिलों से हजारों अभ्यर्थी इलाहाबाद, वाराणसी, झांसी, ललितपुर और पूर्वी उत्तर-प्रदेश के सरहदी जिलों में परीक्षा के लिए जाएंगे. पूर्वी उत्तर-प्रदेश के अभ्यर्थियों के परीक्षा केन्द्र मेरठ और सहारनपुर जैसे पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के जिले बनाए गए है. यह दूरी 600 से आठ सौ किमी तक है. इतने लंबे टूर के लिए ट्रैन में रिजर्वेशन मिलना लगभग नामुमकिन है. बस से यह सफर तय करने के लिए अभ्यर्थियों को दो दिन पहले घर छोड़ना होगा. इसके अलावा बेरोजगारों को दोनो ओर के सफर के लिए हजारों रुपए भी खर्च करने पड़ेगे.
दिव्यांगो के लिए इतनी दूर क्यों बनाए परीक्षा केन्द्र
गुलजार जैसे दिव्यांग नरेन्द्र मोदी सरकार के सुगम्य भारत अभियान से प्रभावित रहे है, लेकिन यूपी सरकार और आयोग के इस फैसले ने उनकी सोच बदल दी. गुलजार कहते है कि वह वाकर के बगैर नहीं चल सकते इसलिए इतने लंबे सफर के लिए उन्हें एक साथी की जरूरत होगी. इतने कम समय में कैसे कोई उनके साथ चलने को रजामंद होगा. दिव्यागों को गृह-जनपद या आसपास के जिलों में परीक्षा की सुविधा मुहैया करानी चाहिए थी. मगर सरकार और आयोग की संवेदनहीनता से वह दुखी है.
दो बार बदली जा चुकी है परीक्षा की तारीख
मार्च 2018 में विज्ञापन के वक्त 10768 एलटी ग्रेड प्रवक्ताओं की भर्ती परीक्षा के लिए परीक्षा की पहली तारीख 6 मई तय की गई थी. बाद में यह तारीख 24 जून हुई और दूसरी बार 29 जुलाई कर दी गई. इस परीक्षा में करीब आठ लाख अभ्यर्थी शामिल हो रहे हैं. परीक्षा मूल्यांकन में नैगेटिव मार्किग भी होगी. यूपी लोक सेवा आयोग पहली बार इतने परीक्षार्थियों वाली परीक्षा आयोजित करा रहा है.