लखनऊ: आज बीजेपी, संघ और योगी सरकार के बीच समन्वय बैठक होने वाली है. यूपी मंत्रिमंडल में फेर बदल से लेकर संगठन में बदलाव पर चर्चा होगी. दिल्ली में आरएसएस नेताओं से मिलने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ भी दोपहर बाद मीटिंग में रहेंगे. संघ की तरफ से दत्तात्रेय होसबोले और कृष्ण गोपाल मौजूद रहेंगे. बीजेपी से संगठन मंत्री सुनील बंसल, सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश सिंह और प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे मीटिंग में शामिल होंगे. सबसे पहले अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी पर बातचीत होगी. सभी छह क्षेत्रों के अध्यक्षों और मंत्रियों से रिपोर्ट कार्ड ली जायेगी. बूथ कमेटी से लेकर विस्तारकों के काम काज पर चर्चा होगी.


अगले महीने के पहले हफ्ते में बीजेपी अध्यक्ष यूपी का दौरा कर सकते हैं. एक दिन वे पश्चिमी यूपी में रहेंगे तो दूसरे दिन वे पूर्वांचल में बैठक करेंगे. समझा जाता है कि इस मीटिंग के बाद 15 महीने पुरानी योगी सरकार में फेर बदल हो सकता है. कुछ मंत्रियों को हटाया जायेगा. वहीं कुछ नये चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. फेर बदल अगले लोकसभा चुनाव से पहले सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने के हिसाब से होगी. सीएम योगी आदित्यनाथ ठाकुर हैं. पहले डिप्टी सीएम केशव मौर्य पिछड़ी जाति से हैं जबकि दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ब्राह्मण हैं. समझा जाता है कि इस बार के बदलाव में दलितों और अति पिछड़ों को मंत्री बनाने पर ज़ोर रहेगा. जिन मंत्रियों का काम काज अब तक ठीक नहीं रहा है उनकी छुट्टी हो सकती है. वैसे सूत्रों की माने तो कोई बड़ा फेर बदल कर बीजेपी आलाकमान नेताओं को नाराज़ करने के मूड में नहीं है. वैसे भी पार्टी का आम कार्यकर्ता ख़ुश नहीं है. लोकसभा से लेकर विधान सभा चुनाव तक वह संघर्ष करता रहा लेकिन बदले में हर बार उसे वायदों का झुनझुना पकड़ाया गया. ऐसे लोगों की न तो मंत्री सुनते हैं और न ही अफ़सर. वैसे योगी आदित्यनाथ अब इस पर काम कर रहे हैं.


चर्चा तो संगठन में भी बदलाव की है. इसी महीने तीन क्षेत्रीय संगठन मंत्री हटा दिए गए. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर यूपी के प्रभारी हैं लेकिन यूपी में पार्टी की सरकार बनने के साथ ही वे भी लखनऊ से दूर चले गए. बीजेपी की किसी भी बैठक में ओम माथुर को नहीं बुलाया जाता है. ख़बर है कि सुनील बंसल और उनके बीच बनी नहीं. अब पार्टी का सारा काम काज संगठन मंत्री सुनील बंसल ही संभालते हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के वे बेहद करीबी माने जाते हैं. केशव मौर्य के बाद महेन्द्र नाथ पांडे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष तो बना दिया गया है लेकिन अब तक वे एक्शन में नहीं आ पाए हैं. कभी कभार उनके बदले जाने की चर्चा भी पार्टी के अंदर ही उठती रहती है. वैसे बीजेपी में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के राज में इस तरह से बदलाव नहीं होते हैं. बीएसपी और समाजवादी पार्टी के हाथ मिला लेने से चुनौतियां बढ़ गई हैं. लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद से बीजेपी के बड़े नेताओं को भी इस बात का एहसास है. आज की बैठक के बाद बदलाव की एक रूप रेखा तैयार हो सकती है.