भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा की जाएगी. आज ये तय हो जायेगा की मध्य प्रदेश में पिछले 13 सालों से जारी शिव'राज' कायम रहता है या फिर कांग्रेस 15 साल बाद एक बार फिर से सत्ता के सिंहासन पर काबिज होती है. मध्य प्रदेश का गठन 1 नवंबर 1956 में किया गया था. देश के मध्य भाग में स्थित होने के कारण इस राज्य को मध्य प्रदेश नाम दिया गया था. ये नाम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था. मध्य प्रदेश को सांस्कृतिक आधार पर निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और ग्वालियर (चंबल) में बांटा जाता है. प्रदेश के गठन के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविशंकर शुक्ल राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे.


मध्य प्रदेश में सबसे लंबे वक्त तक सीएम का पद संभालने के रिकॉर्ड वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम है. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 165 सीटें (44.88 प्रतिशत) जीत कर सत्ता की हैट्रिक लगाई थी. वहीं उस वक्त कांग्रेस को 58 सीटें (36.38 प्रतिशत), बीएसपी को 4 सीटें (6.29 प्रतिशत) और अन्य के खाते में 3 सीटें (5.38 प्रतिशत) आई थीं. अब मतगणना से तय होगा कि प्रदेश में शिवराज की सत्ता कायम रहती है या फिर कोई नया शख्स सीएम पद संभालता है. आज हम आपको मध्य प्रदेश और विधानसभा चुनाव से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.


1. मध्य प्रदेश में 230 विधानसभी सीटें हैं, किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 115+1 सीट जीतना जरूरी है.
2. मध्य प्रदेश में पिछले 15 सालों से बीजेपी सत्ता में है,वहीं शिवराज सिंह रिकॉर्ड 13 साल से सीएम का पद संभाले हुए हैं.
3. बीजेपी से पहले कांग्रेस ने 1993 से लेकर 2003 तक 10 साल सत्ता की बागडोर संभाली थी. उस वक्त दिग्विजय सिंह सूबे के मुखिया रहे थे.
4. मध्य प्रदेश में वर्तमान चुनाव को मिलाकर अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. सूबे में पहली बार चुनाव 1951 में हुये थे.
5. इस चुनाव के लिए 1,094 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 2,899 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 2,644 पुरूष, 250 महिलाएं एवं पांच ट्रांसजेंडर शामिल हैं.
6. मध्य प्रदेश में कुल मिलाकर 75.05 फीसदी वोटिंग रिकॉर्ड की गई, जो पिछली बार के मुकाबले लगभग 3 फीसदी ज्यादा है.
7. मध्य प्रदेश में इस बार कुल 5,04,95,251 मतदातों को मताधिकार हासिल था. जिनमें 2,63,01,300 पुरुष, 2,41,30,390 महिलाएं और 1,389 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल थे.
8. मध्य प्रदेश में चुनावी बाजी जीतने के लिए पीएम मोदी ने 13, राहुल गांधी ने 27, अमित शाह ने 25 और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 15 रैलियां की थी.


मध्य प्रदेश का चुनावी समर जीतने के लिए नेताओं ने एक दूसरे के ऊपर तीखे जुबानी हमले करने से भी कोई गुरेज नहीं किया. चुनाव के वक्त कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ का एक क्लिप सामने आया था जिसमें कमलनाथ ये कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि अगर मुस्लिम इस चुनाव में 90 फीसदी मतदान नहीं करता है तो यह हमारे लिए बड़ा नुकसान होगा. उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा था कि आप 80 प्रतिशत कह रहे हैं और मैं लगभग 90 प्रतिशत बात कर रहा हूं.

विधानसभा चुनाव 2018: 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जानें सत्ता के सेमीफाइनल से जुड़ी हर बड़ी खबर

राज बब्बर ने एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां जिक्र करते हुए कहा था, "प्रधान मंत्री बनने से पहले मोदी कहते थे कि डॉलर की तुलना में, रुपये का मूल्य लगातार गिर रहा है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री की उम्र का लिहाज भी नहीं किया था. तब मोदी ने कहा था कि रुपया मनमोहन सिंह की उम्र जितना गिर गया है" आगे बोलते हुए उन्होंने कहा "हमारी परंपरा हमें इस बात की अनुमति नहीं देती है. लेकिन फिर भी हम यह कहना चाहते हैं कि अब तो रुपये का मूल्य आपकी सम्मानित मां की उम्र के जितना गिर गया है.


वहीं चुनाव के वक्त पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का भी एक बयान सामने आया. जिसमें वे पार्टी कार्यकर्ताओं को बता रहे हैं कि उनके भाषणों से कांग्रेस के वोट कट सकते हैं. इसलिए वो प्रचार नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस के एक और बड़े नेता विधायक जीतू पटवारी ने महिला मतदातों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि महिलायें चुनाव के वक्त रिश्वत लेकर अपना वोट बेचतीं हैं.


तीखी बयानबाजी के इस क्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमलनाथ पर धावा बोलते हुए कहा था, "मैं कहना चाहता हूं कि कमलनाथ जी, अपना अली रखें, हमारे बजरंगबली हमारे लिए पर्याप्त हैं." वहीं राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा था, "मुझे समझ में नहीं आता कि राहुल गांधी क्या कहते हैं? कभी-कभी यह समझना मुश्किल होता है कि वो भारत की बात कर रहे हैं या फिर पाकिस्तान की बात कर रहे हैं. कांग्रेस को इटली से एकमात्र चीज माफिया मिली है."