लखनऊ: शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद वसीम रिजवी ने मंदिर निर्माण पर फिल्म बनाकर सियासी हलचल बढ़ा दी है. फिल्म का नाम ''राम जन्मभूमि'' रखा गया है. पहले इस फिल्म का पोस्टर जारी हुआ था, वहीं आज फिल्म का ट्रेलर भी रिलीज हो गया. फिल्‍म में कारसेवकों पर गोली चलाने और विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा विध्वंस से जुड़े सीन दिखाए गए हैं. फिल्म दिसंबर-जनवरी तक पर्दे पर उतर सकती है.

वसीम रिज़वी ने कहा कि मैं मंदिर निर्माण का समर्थक हूं. बाबर के आदेश को मानकर मीरबाकी ने जो इमारत बनायी वो मस्जिद नहीं हो सकती, शरई (इस्लामी कानून) तौर पर भी नहीं. मैंने वहां मंदिर बनाने का समर्थन किया है और मेरी इच्छा है कि अयोध्या में नहीं, बल्कि लखनऊ में मस्जिद-ए-अमन बनाई जाए.

फ़िल्म की शुरुआत 1990 में अयोध्या के गोलीकांड से की गई है और यह भी बताया गया है कि किस तरह से इस मुद्दे का फ़ायदा उठाया गया. इसमें कई लोग अहम किरदार निभा रहे हैं. एक खलनायक भी है जिसका नाम मौलाना जाफ़र खान है और वो पाकिस्तान का एजेंट है. मौलाना मुस्लिमों का भड़कता भी है. रिजवी ने कहा कि इस फ़िल्म से नफ़रत का माहौल ठीक होगा. हम लोगों ने बड़े शांति से इस फ़िल्म को बनाया है नहीं तो हम लोगों को मारा जाता. उन्होंने कहा कि फिल्म दिसम्बर के दूसरे या तीसरे हफ़्ते में रिलीज़ होगी.

फिल्म के निर्देशक सनोज मिश्रा ने कहा कि ये फ़िल्म देशहित के लिए है. मैंने वसीम रिज़वी के विचारों से प्रभावित होकर इस फ़िल्म को बनाने का फ़ैसला किया. भगवान राम और बाबर की तुलना जायज़ नहीं है. उन्होंने कहा कि ये सोचने वाली बात है कि जब फ़िल्म बनाने में इतनी दिक्कतें आयीं तो वसीम रिज़वी को इस मुहिम के लिए कितनी मुश्किल हुई होगी.

बता दें कि इससे पहले वसीम रिजवी ने कहा था कि हिंदुस्तान की जमीन पर बाबरी ढांचा कलंक है. उन्होंने कहा था कि समझौते की मेज पर बैठकर हार-जीत के बगैर राम का हक हिंदुओं को वापस करना चाहिए और एक नई अमन की मस्जिद लखनऊ में जायज पैसों से बनाने की पहल करनी चाहिए.

एक और बयान में रिजवी ने कहा था,‘‘जो लोग अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर बनाने का विरोध कर रहे हैं और बाबरी मस्जिद चाहते हैं. ऐसे कट्टर मानसिकता वाले लोगों को पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाना चाहिए. ऐसे मुसलमानों के लिए भारत में कोई स्थान नहीं है.’’