मेरठ: मेरठ से लेकर बसा टीकरी गांव तक जिसको भी शहीद के आने की जानकारी मिली, सब काम छोड़कर शहीद को नमन करने पहुंच गया. इस भीड़ में एक दूल्हा भी था जो घुड़चढ़ी छोड़कर शहीद को सैल्यूट करने अंतिम यात्रा के रास्ते में जाकर खड़ा हो गया. शहीद को नमन करते दूल्हे और उसकी बहन के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.


पुलवामा हमले के गुनाहगारों के सफाये के लिए मुठभेड़ में हिस्सा लेने वाले मेरठ के बसा टीकरी गांव के अजय कुमार 18 फरवरी को जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गये. 19 फरवरी के दिन 11 बजे उनका पार्थिव शरीर मेरठ कैंट के मिलिट्री अस्पताल से उनके पैतृक गांव बसा टीकरी के लिए रवाना हुआ. शहीद के काफिले का सैकड़ो जगहों पर सम्मान किया गया और जिले के लोगों ने उन्हें फूल-मालाएं अर्पित की.


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मेरठ से जानी नहर जाते वक्त जानी खुर्द कस्बे से शहीद का काफिला गुजरने वाला था तो शहीद को नमन करने के लिए हजारों लोग सड़क किनारे खड़े हो गये. कस्बे में अपनी बारात के लिए घुड़चढ़ी कर रहे दूल्हा सोनू चौधरी को भी इसकी जानकारी लगी तो उसने घुड़चढ़ी की कसम रूकवा दी और बैंड-बाजे बंद करा दिये. अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ सोनू सड़क के किनारे पहुंचे और शहीद के काफिले का इंतजार करने लगे. सेहरा पहने सोनू ने शहीद को सेल्यूट करके अंतिम विदाई दी.


शहीद को नमन करते वक्त सोनू के साथ उनकी बहन भी थी. उन्होंने भी भारत माता की जय बोलते हुए शहीद अजय कुमार को अंतिम नमन किया. इसी दौरान किसी ने दूल्हे सोनू का बहन के साथ शहीद को सैल्यूट करते हुए फोटो क्लिक कर लिया. यह फोटो अब सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है. सोनू चौधरी की 19 फरवरी को बुलंदशहर के एक गांव में बारात जानी थी. शहीद को श्रद्धांजलि देने के बाद सोनू ने अपनी बारात के सभी कार्यक्रम बड़ी सादगी से सम्पन्न कराये.


अपने पीछे गर्भवती पत्नी और ढाई साल के बेटे को छोड़ गये है शहीद अजय


शहीद अजय दो भाई थे. उनके भाई की कुछ महीने पहले एक हादसे में मौत हो चुकी है. पिता सेना से रिटायर्ड फौजी है. उनकी पत्नी 5 महीने की गर्भवती है. 1 फरवरी को अजय कुमार जब छुट्टियां बिताकर अपनी ड्यूटी पर गये तो पत्नी प्रियंका से बच्चे की डिलीवरी के वक्त पत्नी के साथ रहने का वादा किया था. अपने बेटे आरव के जन्म के वक्त वह अंडमान-निकोबार में तैनात थे और आरब के जन्म के दो महीने बाद ही उसका मुंह देख पाये थे. मगर उनकी शहादत से उनका वायदा टूट गया. अपने दूसरे बच्चे के जन्म के वक्त वह अब अपनी पत्नी के साथ नहीं रह पाएंगे. पत्नी प्रियंका कहती है कि मुझसे किया वादा टूटा उसका कोई गम नहीं, भारत माता की सेवा में उन्होने अपना जीवन न्यौछावर किया. इसका उन्हें गर्व है.



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6 महीने में चले गये फौजी पिता के दोनो बेटे


बसा टीकरी गांव के फौजी वीरपाल सिंह ने लंबा वक्त सेना में देश की सेवा करते हुए बिताया. देशसेवा का जज्बा उनके बेटों में ही कूट-कूटकर भरा हुआ था. इसलिए जज्बे के चलते 2011 में अजय कुमार ने सेना की नौकरी ज्वाइन की. उनका दूसरा बेटा भी सैनिक बनना चाहता था. लेकिन कई बार प्रयासों के बाद भी उसकी भर्ती न हो सकी. सपना टूटने से वह तनाव में था लेकिन पिता उसे हर असफलता के बाद हौसला दिया करते थे. सेना में नौकरी का सपना लिए वह दो महीने पहले एक हादसे का शिकार हो गया. शहीद अजय की शहादत के बाद वह अकेले पड़ गये है. उनकी जिंदगी का एकमात्र सहारा अजय का बेटा आरब ही है. वीरपाल सिंह कहते है कि अब पोते के लिए जीना है. उसे काबिल बनाना है और सेना में अफसर बनाना है.