वायरल सच: क्या है योगीराज में मुसलमानों के राम मंदिर से प्रेम का दावा ?
नई दिल्ली: यूपी में बीजेपी की सत्ता आते ही भव्य राम मंदिर के निर्माण की मांग होने लगी है. सुप्रीम कोर्ट के ये कहने के बाद कि हिन्दू मुस्लिम कोर्ट की मध्यस्थता में आपसी सहमति से इस मुद्दे को सुलझा लें, इस मामले को और तूल दिया जा रहा है. पर हम आपके पास इस मुद्दे को लेकर आए हैं एक वायरल मैसेज की वजह से. सोशल मीडिया पर एक पोस्टर चर्चा में आया है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को राम मंदिर निर्माण के पक्ष में दिखाया जा रहा है. लोग हैरान हैं, असमंजस में हैं, समझ नहीं पा रहे कि ये पोस्टर सही है या गलत. पर अब वायरल सच इसके सच झूठ का फैसला करेगा. योगीराज में राम मंदिर प्रेमी मुस्लिमों के इस सोशल मीडिया संदेश का सच जानिए.
ये है वो पोस्टर जो काफी ज्यादा घूम रहा है सोशल मीडिया में, इस पोस्टर पर लिखा है कि जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण, मुस्लिमों का यही अरमान. ये पोस्टर जैसे ही फेसबुक और वॉट्सऐप पहुंचा अलग-अलग तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं. लोग पोस्टर शेयर करते हुए लिखने लगे कि ये देखो अब तो मुस्लिम भी कहने लगे की होगा मंदिर निर्माण. दूसरे ने लिखा, ''चलो बनाये मन्दिर श्रीराम का हो गया फैसला सारे समाज का'' लेकिन जिस पोस्टर को मुसलमान समाज की राम मंदिर निर्माण के लिए हामी की तौर पर पेश किया जा रहा है क्या वो सच है? कहीं इस पोस्टर के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ तो नहीं की गई है? सच क्या है ये जानने के लिए एबीपी न्यूज ने योगी की सत्ता में मुसलमानों के राम मंदिर प्रेम का दावा करने वाले इस पोस्टर की पड़ताल शुरू की.
एक तरफ PM मोदी की तस्वीर और दूसरी तरफ CM योगी आदित्यनाथ की
सबसे पहले इस पोस्टर को देखते हैं. इसमें एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर है और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की. पोस्टर में ऊपर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य के साथ-साथ लाल जी टंडन की तस्वीर है. बीच में भगवान राम की तस्वीर के साथ मंदिर बना हुआ है. यहां तक सब ठीक है लेकिन पोस्टर के नीचे जो चेहरे और नाम हैं वो लोगों के लिए हैरानी बने हुए हैं.
नीचे सबसे पहला नाम लखनऊ के हुसैन रजा नकवी का है. दूसरे उतरौला के मोहम्मद अयूब खान हैं और तीसरे नंबर पर जलालपुरी के मो जफरूल हसन का नाम है. आगे बढ़ते हैं जानसठ के रजा अली खान, पुणे के डॉ. शबीह अहसन काजमी का नाम दिखता है और पोस्टर के क्लाइमेक्स को पूरा करता है कुंवर सैयद इकबाल हैदर का नाम बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बताए गए हैं. पोस्टर में मंदिर निर्माण वाली पूरी लाइन नीले रंग से लिखी है लेकिन मुस्लिम शब्द को लाल रंग से लिखा गया था इसलिए ये शक हुआ कि कहीं पोस्टर से कोई छेड़छाड़ तो नहीं हुई है.
पोस्टर से छेड़छाड़ नहीं हुई
हमने सबसे पहले ये पता लगाने की कोशिश की कि यूपी में कहीं ऐसा कोई पोस्टर लगाया गया है. इंटरनेट पर ही कुछ लोगों ने लिखा था कि पोस्टर लखनऊ में लगाया गया है. तो हमने लखनऊ की सड़कों पर इस बात की पड़ताल की कि क्या कहीं ऐसा पोस्टर लगाया गया है? पड़ताल के दौरान जब हम लखनऊ विधानसभा के पास बीजेपी दफ्तर तक पहुंचे तो हमें ये पोस्टर दिखाई पड़ा. हूबहू वही पोस्टर जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था. यानि पोस्टर से छेड़छाड़ नहीं हुई है.
अब पता ये लगाना था कि पोस्टर पर जो चेहरे दिखाई दे रहे हैं वो कौन हैं. ये जानने के लिए एबीपी न्यूज संवाददाता उमेश पाठक सैयद इकबाल हैदर के पास पहुंचे जिन्हें पोस्टर पर यूपी बीजेपी की कार्यसमिति का सदस्य बताया गया था. हम सैयद इकबाल हैदर से मिले और उनसे इस पोस्टर के पीछे का मकसद पूछा तो उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं, देश में अमन-चैन हो, हम क्यों किसी से नफरत करें ?
कोई मौलाना या उलेमा नहीं बल्कि पढ़े लिखे और जागरुक मुस्लिम
सैयद इकबाल ने हमें बताया कि राम मंदिर निर्माण की अपील करने वाले पोस्टर में दिख रहे बाकी लोग कोई मौलाना या उलेमा नहीं बल्कि पढ़े लिखे और जागरुक मुस्लिम हैं. एबीपी न्यूज की पड़ताल में पता चला कि लखनऊ में लगी ये अकेली ऐसी होर्डिंग नहीं है. सीएम योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास कालिदास मार्ग चौराहे से लेकर शहर में कई जगहों पर ऐसी होर्डिंग लगाई गई है. एबीपी न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्टर सच साबित हुआ है.