लखनऊ: भारत बंद के दौरान आज उत्तर प्रदेश के चार जिलों मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ और आगरा में हुई हिंसा में दो लोगों व्यक्ति की मौत हो गई और तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.


पुलिस ने बताया कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कई शहरों में हिंसा हुई, वहीं मेरठ में बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया. वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के कई जिलों में उग्र प्रदर्शन कर रहे लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है.


उत्तरप्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने बताया कि मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई वहीं प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति की मेरठ में मौत हुई है.


हिंसा और प्रदर्शन में करीब 35 से 40 पुलिसकर्मी और 30 से 35 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं और सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. इन चार जिलों में 448 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है. इन जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल भी भेजा गया है. इन जिलों में सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखी जा रही है.


पुलिस उप महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) प्रवीण कुमार ने बताया कि प्रदेश के चार जिलों मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ और आगरा में प्रदर्शन के दौरान ​हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. इसके अलावा कुछ अन्य जिलों में छिटपुट घटनाएं हुई हैं, जबकि प्रदेश के 90 फीसदी हिस्से में पूरी तरह से शांति रही.


इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससीएसटी एक्ट) से सम्बन्धित सुप्रीम कोर्ट की हाल की व्यवस्था को लेकर राज्य के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन कर रहे लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है.


मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि किसी भी प्रकार ऐसी स्थिति ना पैदा हो जिससे कानून- व्यवस्था की स्थिति खराब हो. हमारी संवेदना एससीएसटी और वंचित तबकों के सभी नागरिकों के प्रति है. उनके कल्याण एवं सुरक्षा के लिए हमारी सरकारें पूरी संजीदगी के साथ युद्धस्तर पर काम कर रही हैं.


कुमार ने बताया कि मुजफफरनगर में गोली लगने से एक गंभीर घायल व्यक्ति की अस्पताल में मौत होने की सूचना है, जबकि हापुड़ जिले में गोली लगने से एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है. वहीं, मेरठ में भी एक व्यक्ति के गंभीर रूप से घायल होने की सूचना है. इसके अलावा 35 से 40 पुलिसकर्मी भी घायल हैं.


उन्होंने बताया कि हिंसा की घटना की जानकारी मिलते ही मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड. और आगरा में आठ कंपनियां आरएफएफ पुलिस बल और पांच कंपनी पीएसी की भेजी गयी है. इन जिलों के पुलिस अधिकारियों के साथ राज्य पुलिस के आला अधिकारी लगातार संपर्क में हैं और हालात पर नजर बनाये हुये हैं. उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिये केवल लाठीचार्ज और आंसूगैस के गोले छोड़े. पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने की बात पूछे जाने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.


डीआईजी कुमार ने बताया कि इन चारों जिलों से 448 लोगों को हिरासत में लिया गया है और इनसे पूछताछ की जा रही है. सभी जिलों के पुलिस अधिकारी उन लोगों के बारे में भी जानकारी जुटा रहे जिन्होंने लोगों के बीच अफवाहे फैलाकर प्रदर्शनकारियों को भड़का कर हिंसा के लिए उकसाया.


उन्होंने कहा कि कई सरकारी वाहनों के साथ ​निजी वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया है. पुलिस नुकसान का आकलन कर रही है अभी यह बता पाना मुश्किल है कि कितने का नुकसान हुआ है. पुलिस स्थिति पर नजर रखे हुए है और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से इसकी वसूली की जाएगी. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखी जा रही है और अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है.


पुलिस उप महानिरीक्षक कानून व्यवस्था ने बताया कि शाम से किसी जिले से किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला है.


दलित शोषण, मुक्ति मंच सहित कई दलित संगठनों और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अधिनियम के कमजोर पड़ने और दलितों के खिलाफ हिंसा बढ़ने की आशंका जाहिर की थी.