देवरिया: सरकार का यह नारा है, ''सब पढ़े सब बढ़े'' और खासकर गरीब बच्चों के शिक्षा के लिए सरकार करोड़ो रुपए खर्च करती है. लेकिन उनके मातहत उनके सरकार की मंशा पर पानी फेर देते हैं. कुछ ऐसा ही मामला देवरिया के कस्तूरवा आवासीय विद्यालय का सामने आया है. जहां 2 बहनें अपने तानाशाह वार्डन से तंग आकर पढ़ाई छोड़ कर घर बैठ गई हैं.


आवासीय विदयालय की छात्राओं का कहना है कि मैडम हम लोगों को पढ़ने नहीं देती थीं, जब हम लोग पढ़ने जाते तो कोई ना कोई काम करने के लिए भेज देती थीं. अपना खाना हम लोगों से अलग से बनवाती थीं, अपने बच्चे का सारा काम हम जैसे और लड़कियों से करवाती थीं. इसी से परेशान होकर हमने विद्यालय छोड़ दिया. सबसे बड़ी बात यह थी कि विद्यालय से बिना किसी गार्जियन के बच्चों को बाहर नहीं भेजा जाता लेकिन वार्डन ने दोनों बहनों को ऐसे ही छोड़ दिया.


इस बाबत परिजनों का कहना था कि जितने जतन से बच्चों को पढ़ने भेजा गया था लेकिन बच्चों को परेशान कर वहां से निकाल दिया गया. अगर हमारे बच्चों को कुछ हो जाता तो हम क्या करते. अभी बच्चे पढाई छोड़कर घर बैठे हैं.


जब हमने इस मामले पर वार्डन का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कैमरे पर आने से मना कर दिया. इस पुरे मामले को जब मीडिया ने नवागत बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने रखा तो उनका कहना था कि अभी आप लोग जो बता रहे इस प्रकरण की जांच करा कर विभागीय नियमों द्वारा कार्यवाही की जाएगी.