पटना: बिहार पुलिस की विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) के एक अधिकारी द्वारा आरएसएस, उसके अन्य संगठनों और इनसे जुड़े पदाधिकारियों की जानकारी एकत्रित करने के फरमान को लेकर उठा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसके कारणों को लेकर अब कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी के सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि यह सरकार के लिए शर्मनाक बात है.
गिरिराज सिंह ने कहा, ''कार्यकर्ताओं के अंदर आक्रोश है और इन्हें लेकर ही हम सत्ता में हैं. 1977 में जब वाजपेयी जी सरकार में थे, दोहरी सदस्यता के नाम पर हम सरकार से अलग हो गए.'' उन्होंने कहा, ''संघ मेरा मातृ संगठन है, हम सब संघ के स्वयंसेवक हैं. संघ के कॉस्ट पर मैं कोई सत्ता नहीं चाहता.''
गिरिराज ने कहा कि ''जेडीयू से सरकार टूटने जैसी बात नहीं है. अभी सरकार ने कहा है कि हम जांच करेंगे, आगे का फिर देखेंगे लेकिन संघ के ऊपर ये जो बातें आई उभरकर इससे एक एक कार्यकर्ता के मन में आक्रोश है.'' उन्होंने कहा कि ''सरकार में रहते अगर किसी ने शरारत की तो वो सरकार के लिए शर्मनाक बात है, ये चिठ्ठी सरकारी महकमे की है या नहीं, सरकार ये बात कहे चाहे सुशील मोदी हों या जो भी हो.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ''सुशील मोदी को ये बता देना चाहिए कि किसने शरारत की. अगर सरकार के किसी मुलाजिम ने शरारत की तो उसको सस्पेंड करना चाहिए, अगर किसी और व्यक्ति ने ऐसा किया है तो उसपर केस किया जाना चाहिए.''
क्या लिखा था स्पेशल ब्रांच का चिट्ठी में?
दरअसल, 28 मई को पटना के एसपी (स्पेशल ब्रांच) ने डिप्टी एसपी (स्पेशल ब्रांच) को एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें कहा गया था कि आरएसएस और उससे जुड़े 19 सहयोगी सगंठनों के पदाधिकारियों का नाम, पता, फोन नंबर और पेशे का ब्यौरा एक हफ्ते के अंदर जुटाया जाए. पदाधिकारियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष या संयुक्त सचिव और ऐसे ही दूसरे पदभार संभाल रहे लोगों का ब्यौरा मांगा गया.
इस चिट्ठी में आरएसएस के अलावा विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी और हिंदू पुत्र संगठन का नाम शामिल हैं.
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