मेरठ: अनलॉक-1 में दुकानें बाजार खुल तो जरूर गए हैं, लेकिन व्यापारी अभी भी कोरोना के खौफ से उबर नहीं पा रहे हैं. लिहाजा वो कोरोना काल में सुरक्षा को देखते हुए नए-नए नुस्खे आजमा रहे हैं. इन्हीं में एक कोटिंग का नुस्खा आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इस कोटिंग के बाद तीन महीने तक अगर कोई भी कोरोना संक्रमित सतह को छूता है तो वायरस स्वत: ही नष्ट हो जाएगा. हालांकि, व्यापारी कोटिंग कराने के बाद भी असमंजस में हैं.
दरअसल, यूपी के मेरठ जिले के बेगमपुल स्थित एक ज्वैलरी शोरूम में सेनिटाइजेशन से भी एक कदम आगे का तरीका अपनाया जा रहा है. यहां बिलकुल एडवांस तरीके से कोरोना वायरस के बचाव का तरीका ढूंढा गया है. इस नए तरीके को 'कोवी कोटिंग' का नाम दिया गया है. दावा है कि इस तरह की कोटिंग कराने से तीन महीने बाद भी कोरोना वायरस किसी भी सतह पर टिक नहीं सकता और अगर किसी कोरोना वायरस पीड़ित व्यक्ति ने शोरूम की किसी भी चीज को छू भी लिया, तो कोरोना वायरस खुद ही मर जाएगा.
कोवी कोटिंग करने वाली टीम बताती है कि अभी तक शोरूम को सिर्फ सेनिटाइज ही कराया जाता था और सेनिटाइज कराने के बाद भी अगर कोई अपना गंदा हाथ किसी भी चीज को लगा दे, तो उस सतह पर वायरस पहुंच सकता था, लेकिन इस प्रक्रिया को इस्तेमाल करने के बाद में वायरस लेयर के संपर्क में आते ही स्वयं ही मर जाएगा. यह कोटिंग 90 दिनों तक लगातार काम करती रहेगी. इस कोटिंग को कराने वाले ज्यादातर बड़े शोरूम मालिक ही हैं, क्योंकि ये महंगी होती है. टीम के मैनेजर ये भी दावा करते हैं कि ये प्रक्रिया डब्ल्यूएचओ से सर्टिफाइड है. वो ये भी बताते हैं कि उनसे कई लोगों ने बताया कि राष्ट्रपति के यहां भी ऐसे ही कोटिंग कराई गई है. लिहाजा इस प्रक्रिया का नाम 'प्रेसिडेंट कोटिंग' भी रखा गया है.
दिल्ली के करोलबाग की ये टीम अलग-अलग शहरों में जाकर ये कोटिंग करती है. टीम के सदस्य अभिषेक शर्मा बताते हैं कि दीवारों पर ये कोटिंग 20 रुपए प्रति स्कॉयर फीट के हिसाब से होती है. वहीं, कुर्सियों- मेज आदि के लिए लीटर के हिसाब से ये कोटिंग की जाती है. इस कोटिंग को करने में 10 हजार रुपए प्रति लीटर की कॉस्ट आती है.
आखिर कैसे इस सतह की कोटिंग होती है.ये पूछे जाने पर अभिषेक बताते हैं कि लेयर की फॉर्मोसन पॉलीमर की होती है. जिससे नैनो लेयर क्रिएट हो जाती है. वो ये भी दावा करते हैं कि इस कोटिंग में अल्कोहल का इस्तेमाल नहीं होता है. अभिषेक कहते हैं कि सामान्य सेनेटाइजेशन 15 से 20 मिनट में उड़ जाता है, लेकिन ये कोटिंग तीन महीने तक रहती है.
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