मेरठ: कहावत है कि पुलिस की मार के आगे अपराधी क्या, भूत भी बोलते हैं, मेरठ पुलिस ने इस कहावत को हकीकत में बदल डाला. मारपीट के एक केस की धाराओं में इजाफा कराने के लिए एक डॉक्टर अपनी मौत के 7 दिन बाद जिंदा हो उठा. हैरत की बात ये रही कि मरे हुए डॉक्टर ने केस डायरी में अपने बयान दर्ज कराये और पुलिस के सवालों के लिखित में जबाब भी दिये हैं.
मामूली मारपीट के मामले को बनाया जान से मारने की कोशिश का केस
मेरठ के मलियाना इलाके के जसवन्त शुगरमिल इंटर कॉलेज में 24 अक्टूबर 2016 को शिक्षकों के बीच मारपीट हुई थी. घायल शिक्षक श्रवण कुमार ने इस मामले में प्रिसिंपल राजेश अग्रवाल, उनके साथी शिक्षक और इलाके के पार्षद के खिलाफ केस दर्ज कराया था. पुलिस तफ्तीश के मुताबिक 24 अक्टूबर 2016 को श्रवण कुमार अपने इलाज के लिए कंकरखेड़ा इलाके के आशुतोष नर्सिग होम में भर्ती हो गये. डॉ. विपिन शर्मा ने उनका इलाज किया और मेडीकल प्रमाण-पत्र जारी करके बताया कि श्रवण की हड्डी टूटी है. यह बात आरोपियों को पची नहीं. आरोपियों के मुताबिक घटना के वक्त केवल लात-घूंसों का इस्तेमाल किया गया था.
केस डायरी में बयान दर्ज कराने से पहले मर चुका था डॉक्टर
इस केस के जांच करने वाले दारोगा संजय कुमार ने 6 दिसंबर 2016 को डॉ. विपिन शर्मा के बयान लिये और बयान को केस डायरी में दर्ज किया. आरोपी जब अस्पताल में डॉक्टर से मिलने पहुंचे तो पता चला कि 30 नवम्बर को डॉक्टर की मौत हो चुकी है. पीड़ितों ने नगरनिगम से आरटीआई के जरिये डॉक्टर का मृत्यु प्रमाण-पत्र हासिल किया जिससे डॉ विपिन शर्मा की मौत की पुष्टि हो गई. इस मामले में जब घायल श्रवण कुमार का एक्सरे करने वाले स्कैन सेंटर से रिपोर्ट ली गयी तो पता चला कि मूल अभिलेखों में घायल की हड्डी टूटने की बात ही दर्ज नहीं है.
प्रिसिंपल समेत तीन को लंबी सजा कराने का मंसूबा
इस केस के आरोपी और कॉलेज के प्रिसिंपल राजेश अग्रवाल ने बताया कि पुलिस ने वादी के साथ मिलकर आरोपियों के खिलाफ केस मजबूत करने के लिए हड्डी टूटे हुए की फर्जी रिपोर्ट के आधार पर केस में धारा 307 यानी जान से मारने की कोशिश की धारा बढ़ा दी. जांच करने वाले दारोगा ने मनगढ़ंत तरीके से मरे हुए डॉक्टर के बयान केस डायरी में दर्ज कर लिये और अस्पताल के लेटरहेड का इस्तेमाल करके डॉक्टरों के दस्तखत से फर्जी जबाब लेकर चार्जशीट में शामिल कर दिये. आरोपी पक्ष को लंबी सजा कराने के मंसूबे से दारोगा और वादी ने मिलकर मरे हुए डॉक्टर के नाम का इस्तेमाल किया.
एसएसपी ने एसपी सिटी को सौंपी मामले की जांच
एसएसपी अखिलेश कुमार ने केस के आरोपी राजेश अग्रवाल के परिजनों की शिकायत पर इस मामले की जांच एसपी सिटी को दी है और आठ दिन में जांच पूरी करके कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. एसएसपी ने यह भी कहा कि बेगुनाहों को फर्जीवाड़ा करके कानून के शिकंजे में फांसना भी अपराध है. जांच के बाद कार्रवाई जरूर होगी.