कानपुर: पूरे देश में ईद-उल-जुहा (बकरीद) बुधवार को धूमधाम से मनाया जाना है. बकरीद के मौके पर कानपुर में इन दिनों टीपू सुल्तान और चांद की चर्चा है. कुर्बानी के लिए तैयार ये बकरे इतने खुबसूरत हैं कि शहर भर से लोग इन्हें देखने आ रहे हैं और इनके साथ सेल्फी ले रहे हैं. ये बकरे काजू, बादाम, किसमिश और चना खाते हैं. इतना ही नहीं दूध और कोल्ड्रिंक भी इनके खान-पान में शामिल हैं. गर्मी के मौसम में एसी और कूलर में रहते हैं. बकरीद के मौके पर इन्हें खरीदने वालो भीड़ लगी है लोग मुंह मांगी रकम देने को तैयार हैं. यह बकरे सिर्फ अपने मालिक की जुबान को समझते हैं.



28 बकरों के मालिक आकिब खान उन्हें खिलाते हैं काजू, बादाम


बेकनगंज के रहने वाले आकिब खान का रेडीमेड कपड़ों का व्यापर है. आकिब खान को बचपन से ही बकरे पलने का शौक रहा है, यह शौक उन्हें अपने वालिद से मिला. आकिब के पिता को भी बकरे पालने का शौक रहा है. आकिब खान के पास 28 बकरे हैं, इन बकरों के लिए उन्होंने ख़ास व्यवस्था कर रखी है. उनके लिए अलग से घर जो पूरी तरह से वातानुकूलित है ताकि बकरों को गर्मी नहीं लगे. सर्दियों के मौसम में उन्हें गर्म रखने के लिए ब्लोवर की भी व्यवस्था की जा जाती है.



आरओ का पानी पीते हैं ये बकरे


आकिब ने उनके खाने और पीने की भी खास व्यवस्था की है. आकिब अपने बकरों को काजू, बादाम, पिस्ता, किसमिश और चना खिलाते हैं. इसके साथ मौसम के हिसाब से उन्हें हरी सब्जिया और पनीर के टुकड़े खाने में दिया जाता है. दूध और कोल्डड्रिंक पीने के लिए दिया जाता है और पानी में सिर्फ आरओ का पानी पीते हैं.


आकिब खान बताते है कि मेरे वालिद बकरे पालते थे और मै छोटा था तो उनकी देख रेख करता था. उनके बाद मुझे भी बकरों को पलने का शौक पड़ गया. हमारे परिवार में बकरों को खरीदकर कुर्बानी देने का प्रचलन नहीं है. हम लोग उसी बकरे की कुर्बानी देते हैं जिसको हमने स्वयं पाला हो. क्यों कि हजरत इब्राहीम ने खुदा के लिए अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी दे दी थी. इसका मतलब है सबसे दिल के नजदीक जिसे सबसे ज्यादा आप प्यार करते हो उसकी क़ुर्बानी दी जाती है. यही वजह है कि मै इन बकरों को अपने परिवार के सदस्यों की तरह खिलाता पितालाता हूं. यह बकरे मेरे दिल के सबसे करीब होते हैं, लेकिन जब इनकी कुर्बानी होती है तो दुःख तो होता है.



मुंह मांगी रकम देने को तैयार हैं लोग


उन्होंने बताया कि हमारे टीपू,सुलतान और चांद को संभालने के लिए कम स कम चार लोगों की जरूरत पड़ती है. इनकी लम्बाई लगभग 4 फीट है यह बहुत ही ताकतवर है. बकरीद के मौके पर लोग मुझे इनकी मुंह मांगी रकम देने को तैयार हैं. लोग हमारे व्यापारी भाई तो इसकी कीमत 8 से 10 लाख तक देने को तैयार थे. इनकी देख रेख करने के लिए हमने चार लोगो को नौकरी पर भी रखा है वो सिर्फ इनकी देख रेख करते हैं.



हमारे बकरों को देखने के लिए शहर के आलावा बहार से लोग आ रहे हैं. वो आते हैं इनके साथ फोटो खिचवाते हैं. हम लोग बकरीद के मौके पर दान भी करते हैं जो हमारे मजहब में है कि पहला दान फकीरों का बनता है, इसके लिए हमारे पास अलग से भी बकरे हैं.