गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय के दो प्रोफेसर के खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न का केस दर्ज किया गया है. उत्पीड़न के बाद आहत होकर SC-ST शोध छात्र में जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था. पुलिस ने पहले दो अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया था. छात्र के बयान और सुसाइड नोट के आधार पर आज दोनों प्रोफेसर को अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न की धारा में नामजद किया गया है.

शोध छात्र दीपक कुमार के केस में पुलिस ने डीन प्रो. सीपी श्रीवास्तव और दर्शनशास्त्र विभाग के निष्काषित अध्यक्ष प्रो. द्वारकानाथ को नामजद कर लिया है. दीपक कुमार की तहरीर पर 21 सितंबर को दर्ज किए धमकी और गाली गलौज के मुकदमे में एससी एसटी एक्ट की धाराएं जोड़ी गई हैं.

विश्विद्यालय में दर्शनशास्त्र के शोध छात्र दीपक कुमार ने 20 सितंबर को जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी. दोस्त उसे जिला अस्पताल ले गए जहां से डॉक्टरों ने उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था. दीपक ने इससे पहले 18 सितंबर को कुलपति को प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया था.

आरोप है कि दोनों शिक्षकों के भेजे गए कुछ लोगों ने उसे सुबह जाति सूचक गालियां देते हुए धमकाया था कि वह दोनों शिक्षकों के खिलाफ की गई शिकायत वापस वापस कर ले. दीपक के जहर खाने की सूचना मिलते ही मुख्य नियंता प्रो. गोपाल प्रसाद ने दीपक का आवेदन कैंट इंस्पेक्टर को इस संस्तुति के भेज दिया था कि मामले में कानूनी कार्रवाई करें.



21 सितंबर को इस तहरीर के आधार पर पुलिस ने धारा 504 और 506 के तहत केस दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी थी. पुलिस को दीपक के कमरे से सुसाइड नोट मिला था. 22 सितंबर को दीपक के पिता ने बेटे के साथ घटी घटना के लिए दोनों शिक्षकों को जिम्मेदार बताते हुए कैंट थाने में तहरीर देकर केस दर्ज करने की मांग की थी. इसी दिन शाम को दीपक को मेडिकल कालेज से डिस्चार्ज कर दिया गया.

23 सितंबर को पुलिस ने दीपक का बयान दर्ज किया. जिसमें, उसने दोनों पर वही आरोप लगाया, जो उसने सुसाइड नोट में लिखा था. दीपक ने सुसाइड का प्रयास करने से पहले इस संबंध में एक वीडियो भी वायरल किया था, जिसमें उसने सुसाइड नोट में लिखी बातें ही कही थीं. पुलिस ने इसको भी साक्ष्य के तौर पर विवेचचना में शामिल किया है.

विश्विद्यालय के दोनों प्रोफेसर के खिलाफ केस दर्ज होने से जहां शिक्षक हतप्रभ हैं. वहीं शिक्षक संगठन इस मामले में विरोध भी दर्ज करा सकता है. विश्विद्यालय में शैक्षणिक कार्य बाधित होने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है. हालांकि दीपक ने एक पत्र जारी करते हुए इसे राजनीतिक रंग नहीं देने की अपील की है.

पत्र में उसने लिखा है कि कोई संगठन उसके पक्ष में विरोध जताकर इस मामले को राजनीतिक रंग देगा, तो उससे उसका कोई लेना-देना नहीं होगा. उसने दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी दोहराई है.

वहीं इसके पहले दोनों प्रोफेसर ने भी पत्र जारी कर इस मामले में अपनी सफाई दी. उन्होंने छात्र के उत्पीड़न को सिरे से खारिज करते हुए खुद को निर्दोष भी बताया था. लेकिन, दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने से अब उनकी मुश्किलें भी बढ़ गईं हैं. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और उसके बाद ही इस मामले में आगे कोई कार्रवाई होगी.