उन्नाव गैंगरेप: कुलदीप सेंगर समेत सभी आरोपियों की बदलेगी जेल, जेल से गवाहों को प्रभावित करने का आरोप
जेल में करीबियों के साथ जनता दरबार लगाने और गवाहों को प्रभावित करने की शिकायतें सामने आने के बाद बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर समेत केस से जुड़े सभी आरोपियों को अब उन्नाव के बजाय लखनऊ की जेल में शिफ्ट किया जाएगा.
इलाहाबाद: उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर कानूनी शिकंजा अब तेजी से कसता जा रहा है. जेल में करीबियों के साथ जनता दरबार लगाने और गवाहों को प्रभावित करने की शिकायतें सामने आने के बाद बीजेपी विधायक समेत केस से जुड़े सभी आरोपियों को अब उन्नाव के बजाय लखनऊ की जेल में शिफ्ट किया जाएगा. पीड़ित परिवार और सीबीआई की सिफारिश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को उन्नाव से हटाकर दूसरी जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है. हालांकि पीड़ित परिवार ने सीबीआई की जांच पर भी सवाल उठाया है. हाईकोर्ट ने भी जांच असंतोष जताते हुए सीबीआई से जांच में तेजी लाने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई वैज्ञानिक तरीके से जांच करे.
केस की मॉनीटरिंग कर रही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सीबीआई से सवाल किया है कि नए सिरे से एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अभी तक पीड़ित का मजिस्ट्रेट के सामने बयान क्यों नहीं दर्ज कराया गया. कोर्ट ने 13 अप्रैल को आदेश दिया था कि पिछले साल दर्ज एफआईआर में जमानत पाए आरोपियों की जमानत रद्द करके दोबारा उन्हें जेल भेजा जाए. लेकिन इस आदेश पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई थी. कोर्ट ने पूछा कि इस आदेश पर अभी तक अमल क्यों नहीं किया गया.
अदालत ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई है कि सीबीआई ने बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में रिमांड क्यों नहीं बनवाया. अदालत ने सीबीआई से टिंकू सिंह नाम के उस शख्स का पता लगाने को भी कहा है जिसने पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में एफआईआर की अर्जी लिखी थी. यूपी सरकार की एसआईआटी को अपनी अर्जी नहीं होने का दावा करने वाले बयान के बाद से टिंकू नाम का शख्स गायब है.
टिंकू का पता लगाने के लिए आज हाईकोर्ट में पीड़िता की मां की तरफ से भी अर्जी दाखिल की गई. पीड़ित परिवार की अर्जी में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत सभी आरोपियों को उन्नाव जेल से हटाए की भी अपील की गई. अर्जी में कहा गया कि विधायक जेल से भी गवाहों और गांव वालों को प्रभावित कर रहे हैं. पीड़ित परिवार ने भी सीबीआई से काम में तेजी और पारदर्शिता लाने की मांग की है.
पीड़ित परिवार की अर्जी पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सीबीआई के कामकाज पर असंतोष जताया. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को यह समझना चाहिए कि उसे हर बात में अदालत के निर्देश का इंतजार नहीं करना चाहिए और खुद फैसले लेने चाहिए. हालांकि अदालत ने सीबीआई के कदम की तारीफ भी की, जिसमे एजेंसी ने विधायक और बाकी आरोपियों को उन्नाव से हटाकर लखनऊ जेल शिफ्ट करने की प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की है. अदालत ने कहा है कि अगर सीबीआई की कोशिशों से आरोपियों की जेल बदल जाती है तो ठीक है, वरना 21 मई को होने वाली सुनवाई में कोर्ट खुद सभी आरोपियों को उन्नाव जेल से शिफ्ट करने का आदेश जारी कर देगी.
मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस सुनीत कुमार की डिवीजन बेंच इस मामले में 21 मई को फिर से सुनवाई करेगी. 21 मई को सीबीआई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करेगी.