लखनऊ: उन्नाव गैंगरेप केस की कहानी शुरु हुई थी करीब 10 महीने पहले जब 11 जून 2017 को पीड़िता गायब हो गई थी. पीड़ित परिवार ने शुभम, अवधेश पर केस दर्ज कराया था. 21 जून को पीड़िता वापस आ गई थी और 22 जून 2017 में उसने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दर्ज कराए थे.


उन्नाव गैंगरेप कांड: आरोपी बीजेपी विधायक की पत्नी ने पीड़ित परिवार को बताया झूठा

इस बयान में उसने तीन लोगों के नाम लिए थे लेकिन विधायक का नाम इस बयान में नहीं था. जून के महीने से शुरू हुई इस वारदात में बड़ा मोड़ तब आया जब जुलाई में पीड़िता ने पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर विधायक कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगा दिया. इसी के बाद विधायक समर्थकों और पीड़ित परिवार के बीच टकराव बढ़ गया.

- 30 अक्टूबर को विधायक समर्थकों ने पीड़िता के परिवार पर मानहानि का केस किया
- पीड़िता के घरवालों पर विधायक को रावण बताने वाला पोस्टर लगाने का आरोप
- 11 नवंबर को पीड़िता के चाचा पर भी मानहानि का केस कर दिया गया



पीड़ित परिवार की तरफ से 22 फरवरी को उन्नाव की जिला अदालत में अर्जी दी गई. अर्जी में एक बार फिर विधायक पर रेप का आरोप लगाया गया. साथ ही कहा गया कि आरोपी शुभम की मां शशि उसे नौकरी दिलाने के बहाने विधायक के घर ले गई थी. शशि इन आरोपों से इंकार कर रही हैं.

शशि का कहना है कि उनके बेटे शुभम पर पीड़ित ने शादी का दवाब बनाया था और नहीं मानने पर उनके बेटे को फंसा दिया गया.

पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था लेकिन विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. ये मामला दबा ही रहता अगर दबंगों ने 3 अप्रैल को कोर्ट से लौटते पीड़िता के पिता को मार-मार कर अधमरा ना कर दिया होता.

पुलिस ने आरोपियों की जगह पीड़िता के पिता पर आर्म्स एक्ट में केस किया और उन्हें जेल भेज दिया. आठ अप्रैल को पीड़िता ने अपने परिवार के साथ सीएम आवास के बाहर आत्महत्या का प्रयास किया. दूसरी ओर पीड़िता के पिता की जेल में मौत हो गई.