कुशीनगर: कुशीनगर भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के नाम से विश्व के मानचित्र पर स्थापित है. इतिहासकारों का मानना है कि 483 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध यहां आए और महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुए थे. इसीलिए बौद्ध धर्म में कुशीनगर का विशेष महत्व है. कुशीनगर में भगवान बुद्ध के 4 प्राचीन दर्शनीय स्थल हैं और इसके अलावा 13 बुद्धिस्ट मंदिर हैं. हर साल बौद्ध धर्म के लाखों देशी-विदेशी अनुयायी यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली को मुख्य मंदिर भी कहा जाता है. यहां विशेष पूजा अर्चना करके भगवान बुद्ध को चीवर चढ़ाया जाता है.



महापरिनिर्वाण मंदिर


बौद्ध धर्म में इस मंदिर का विशेष महत्व है. यहीं भगवान बुद्ध ने अपने प्राण त्याग किए थे. इसलिए इसको मुख्य मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 21.6 फिट लम्बी लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है. जो कि सेठ हरिबल ने ने कलाकार दिन से बनवाई थी. यह प्रतिमा मथुरा शैली की है. यह 1876 में खुदाई से प्राप्त हुई है. इस लेटी प्रतिमा की सबसे ख़ास बात यह है कि यह तीन मुद्राओं में दिखाई देती है. पैर की तरफ से देखने पर शान्ति चित्त मुद्रा (महापरिनिर्वाण मुद्रा), बीच से देखने पर चिंतन मुद्रा और सामने से चेहरा देखने पर मुस्कुराते हुई मुद्रा दिखाई देती है.



माथा कुंवर मंदिर


ऐसी मान्यता है कि महापरिनिर्वाण प्राप्ति से पूर्व भगवान बुद्ध ने अंतिम बार यहां इस स्थल पर पानी पिया था. यह मंदिर मुख्य मंदिर से लगभग 300 मीटर की दुरी पर स्थित है. सड़क से नीचे होने के चलते इस मंदिर में बरसात के दिनों में पानी भर जाता है.



रामाभार स्तूप (मुकुट वंदन चक्र)


माना जाता है कि भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार इसी स्थल पर हुआ था. इसीलिए यहां एक बड़ा स्तूप है जो उन्हें समर्पित है. यहां बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग आते हैं और घंटों शांति मुद्रा में बैठकर उनका पूजन करते हैं.


अस्थि धातु वितरण स्थल


यहां द्रोण नामक ब्राह्मण ने इनकी अस्थियों का बंटवारा किया था. इसके अलावा अब कुशीनगर में भगवान बुद्ध के विदेशी अनुयाइयों ने 13 मंदिर और बनवाए हैं. इन मंदिरों की भव्यता देखते बनती है. जो नए मंदिर बने हैं वे इतने मनमोहक हैं कि एक बार देखने के बाद पर्यटक अपने आप खिंचे चले आते हैं.


भंते नंदरतन बताते हैं कि यहां हर वर्ष लाखों देशी और विदेशी पर्यटक भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए आते हैं, यहां विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है. जैसे बौद्ध घर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत ही महत्व है ऐसी मान्यता है कि भगवान बुद्ध आसाढ़ पूर्णिमा को स्वर्ग में जाकर अपने माता जी को धर्म का उपदेश देकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन धरती पर अवतरित हुए थे. इस अवसर पर कुशीनगर भगवान बुद्ध की महा परिनिर्वाण की स्थली होने के नाते यहां झांकिया निकाली जाती है. साथ ही भगवान बुद्ध को चीवर चढ़ा कर विशेष पूजा आयोजित होती है.