कुल 13 विधायक लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी थे, जिनमें से 11 चुनाव जीत गये. इन विधायकों में नौ भारतीय जनता पार्टी के, दो समाजवादी पार्टी के और एक-एक बहुजन समाज पार्टी एवं अपना दल के हैं . बीजेपी के नौ विधायकों में से चार मंत्री हैं.
जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 151 के प्रावधान के मुताबिक विधानसभा या लोकसभा की रिक्त सीट पर छह महीने में उप-चुनाव हो जाना चाहिए.
चार मंत्रियों में से तीन ने चुनाव जीता. अंबेडकर नगर से मुकुट बिहारी वर्मा चुनाव हार गये. चुनाव जीतने वाले प्रदेश के मंत्री इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी, कानपुर से सत्यदेव पचौरी और आगरा से एस पी सिंह बघेल हैं.
बीजेपी विधायकों में आर के सिंह पटेल बांदा लोकसभा सीट से चुनाव जीते. वह मानिकपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं. इगलास से बीजेपी विधायक राजवीर दिलेर हाथरस लोकसभा सीट से विजयी हुए जबकि जैदपुर से बीजेपी विधायक उपेन्द्र रावत बाराबंकी लोकसभा सीट जीते.
गंगोह से बीजेपी विधायक प्रदीप चौधरी कैराना लोकसभा सीट जीते जबकि बलहा से विधायक अक्षयवर लाल गौड बहराइच लोकसभा सीट जीते. सपा ने रामपुर के विधायक मोहम्मद आजम खां को रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया. खान चुनाव जीत गये हैं.
बसपा विधायक रीतेश पाण्डेय आंबेडकर नगर लोकसभा सीट से और अपना दल के विधायक संगम लाल गुप्ता, जो बीजेपी के टिकट पर लड़े, प्रतापगढ़ से विजयी हुए.
चुनाव हारने वाले विधायकों में जसवंत नगर से विधायक शिवपाल सिंह यादव शामिल हैं, जो अपनी नवगठित पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के टिकट पर फिरोजाबाद लोकसभा सीट से लड़े.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तीन कैबिनेट सहयोगी चूंकि अब लोकसभा जाएंगे इसलिए योगी कैबिनेट में फेरबदल भी संभावित है.
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