भदोही: चुनावी रैली के दौरान कल भदोही में मायावती और अखिलेश दोनों एक ही मंच पर थे, लेकिन उस वक्त अखिलेश की परेशानी बढ़ गई होगी जब मायावती ने उन्हें नौसिखिया सीएम करार दे दिया. जिले के नाम बदलने को लेकर मायावती ने अखिलेश को नौसिखिया सीएम कह दिया.


दरअसल, मामला ये है कि बसपा सुप्रीमो मायावती भदोही में गठबंधन के बसपा प्रत्‍याशी के समर्थन जनसभा को संबोधित करने पहुंची थीं. मंच पर आते ही भदोही का नाम बदले जाने को लेकर प्रधानमंत्री पर जमकर बोला. और फिर मायावती ने बातों-बातों में उन्होंने कहा कि जब जिले का नाम बदला गया तब अखिलेश नए नए मुख्यमंत्री बने थे.

मायावती ने कहा कि जब जिले का नाम बदला गया तब अखिलेश राजनीति में नए थे. चार बार मैं मुख्यमंत्री रही हूं, ब्यूरोक्रेसी किस तरह से भ्रमित करती है, यह मुझे पता है. उन्होंने कहा कि अखिलेश नए नए मुख्यमंत्री बने थे, ब्युरोक्रेसी के लोगों ने कुछ गलत फैसला करवा दिया लेकिन आने वाले समय में जब गठबंधन की सरकार बनेगी तो हम भदोही जिले का नाम पुनः संत रविदास नगर कर देंगे. हालांकि अखिलेश यादव ने अपने भाषण में जिले का नाम बदलने को लेकर कुछ भी नहीं कहा.

बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भदोही के लालानगर में कहा था कि बुआ ने भदोही का नाम संत रविदास नगर रखा लेकिन बबुआ ने अपने अहंकार में इसे बदल दिया. मायावती ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कहा कि आज बीजेपी की सरकार प्रदेश में है तो सरकार भदोही का नाम बदल कर संतरविदास नगर क्यों नहीं रख देती.

मायावती यहीं पर नहीं रुकी उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जितने जिलों, संस्थानों के नाम बदले गए हैं उन सभी का भी पुनः वही नाम कर दिया जाएगा.

योगी आदित्यनाथ पर निशाने पर लेते हुए माया ने कहा कि आज आप लोगों के बीच आकर वोट मांग रहे हैं, वह चुनाव के बाद अपने मठ में वापस चले जाएंगे.

उन्होंने बिना नाम लिए कहा, "कांग्रेस का एक प्रत्याशी आजमगढ़ से भदोही आकर अखिलेश को समर्थन करने की बात कह रहा है. मुझे लगता है कि दाल में जरूर कुछ काला है. बीजेपी ने अपने किसी कार्यकर्ता को कांग्रेस से चुनाव लड़ाकर गठबंधन के खिलाफ साजिश रची है." मायावती रमाकांत यादव का जिक्र कर रही थीं, जिन्हें कांग्रेस ने भदोही से टिकट दिया है. रमाकांत यादव इसके पहले बीजेपी में थे, और टिकट न मिलने के कारण कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

अखिलेश यादव ने बीजेपी पर तंज करते हुए कहा, "इनके भाषण शौचालय से शुरू हो कर शौचालय पर ही खत्म होते हैं. 2014 में किए गए सभी वादे भूल गई सत्ताधारी सरकार. बीजेपी और कांग्रेस दोनों में कोई अंतर नहीं है."

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