लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विपक्षी दलों के गठबंधन के नेता के बारे में सवाल पूछ रही बीजेपी पर तंज करते हुए सोमवार को कहा कि देश की जनता अगले चुनाव के बाद नया प्रधानमंत्री चाहती है.उन्होंने कहा कि जीत का दावा कर रही बीजेपी के पास अगर इस पद के लिये कोई दूसरा चेहरा हो तो बताए. बीजेपी के पास कोई नया प्रधानमंत्री है तो बताएं. हमारे पास तो कई च्वाइस हैं.


अखिलेश ने प्रेस कांफ्रेंस में विपक्षी दलों के सम्भावित गठबंधन के नेता के बारे में बीजेपी द्वारा प्रश्न उठाये जाने सम्बन्धी सवाल पर कहा, ‘‘बीजेपी ने 40 से ज्यादा पार्टियों के साथ गठबंधन किया है. (शनिवार को कोलकाता में तो) अभी 20-22 दल के नेता ही साथ नजर आये हैं. जहां तक नेता का सवाल है, तो यह पूछा ही जाएगा. भारत का इतिहास बताता है कि नेतृत्व तो जनता खुद ही तय कर लेती है. आने वाले समय में आप देखेंगे कि हमारे पास कितने विकल्प हैं.‘‘


उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एक बात तो बिल्कुल सच है, और जनता स्वीकार कर रही है. जब परिणाम आएगा तो आप भी स्वीकार करेंगे कि देश नये प्रधानमंत्री का इंतजार कर रहा है. अगर बीजेपी के पास कोई नया प्रधानमंत्री हो तो बताएं. हमारी तो उसे बड़ी चिंता हो रही है.‘‘


सपा प्रमुख ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि सपा और बसपा नेतृत्व ने गठबंधन के बाद सीट बंटवारे के मामले में उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर निर्णय ले लिया है. इसका एलान भी जल्द होगा. उन्होंने कहा कि जहां तक सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सवाल है तो वह जहां से चुनाव लड़ना चाहेंगे, सपा उन्हें वहां से लड़ाएगी.


मुगलसराय से बीजेपी विधायक साधना सिंह द्वारा गत शनिवार को बसपा प्रमुख मायावती के प्रति अभद्र टिप्पणी किये जाने का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि बीजेपी नेताओं की यह भाषा उनकी हताशा का नतीजा है. चूंकि बीजेपी ने अपने शासनकाल में कोई काम नहीं किया है, तो उसके नेता काम की बात कैसे करेंगे. अभी चुनाव आ रहा है तो और भी बातें होंगी.


अखिलेश यादव ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि सुनने में आया है की भारत का डंका दुनिया में बज रहा है लेकिन सबसे ज़्यादा भुखमरी और बेरोज़गारी इसी देश में हैं. सबसे ज़्यादा बीमारी और कैंसर पीड़ित भारत में हैं. शिक्षा का स्तर भी ख़राब है. भीड़ आदमी को मार दे ये भी सबसे ज़्यादा यहीं है और सबसे ज़्यादा झूट भी भाजपा ने बोला है , उनका व्यवहार शिष्टाचार क्या है, उनकी भाषा क्या है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सिर्फ नीचे ही नहीं बल्कि सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठे व्यक्ति की भी भाषा ऐसी ही है.


पेंशन के बहाने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा, 'योगी सरकार साधु-संतों को भी पेंशन दे. साधु-संतों को कम से कम 20 हजार महीने पेंशन मिले और समाजवादी पेंशन और यश भारती की पेंशन भी शुरू हो जाए. रामलीला के किरदार राम, सीता, लक्ष्मण और हो सके तो रावण को भी कुछ पैसा मिला जाए.


वाराणसी में आज से शुरू हुए ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ आयोजन पर अखिलेश ने कहा कि जैसा कि पिछले कई वर्षों से इंतजार हो रहा है कि प्रवासी भारतीय यहां कुछ निवेश करेंगे. शायद कुम्भ को देखने और गंगा में स्नान करने के बाद उनका मन बदलेगा और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश होगा.


उन्होंने कहा कि हमने ‘इन्वेस्टर्स समिट’ तो देखी. उसमें मंच पर बैठे लोग हर जगह मंच पर ही रहते हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि वे आपके यहां निवेश कर देंगे. निवेश कराने के लिये कुछ नीतियां चाहिये. कुछ फैसले और भरोसा चाहिये. भरोसा ‘ठोंको नीति‘ से तो आएगा नहीं. मैं तो कहता हूं कि काशी, कुंभ होकर लौटते समय हमारे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर भी निकल जाएं. तब आकलन करें कि कौन काम कर रहा है और कौन जनता को धोखा दे रहा है.


उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा साधु-संतों को पेंशन दिये जाने की तैयारियों की खबरों पर अखिलेश ने कहा कि उन्हें कम से कम 20 हजार रुपये पेंशन मिलनी चाहिये. हम तो चाहते हैं कि समाजवादी पेंशन योजना और यश भारती पुरस्कार प्राप्त लोगों को मिलने वाली पेंशन फिर से शुरू की जाए.