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यूपी: इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक, छात्रों ने दी उग्र आंदोलन की धमकी

यूनिवर्सिटी प्रशासन की दलील है कि चुनाव लड़कर सियासी ज़मीन मजबूत करने के लिए तमाम छात्रनेता जानबूझकर कैम्पस में पड़े रहते हैं. वह सियासी फायदे के लिए बेवजह के आंदोलन करते हैं. छात्रों को भड़काते हैं और कैम्पस का माहौल खराब कर अराजकता के हालात पैदा करते हैं.

प्रयागराज: देश में सियासत की नर्सरी कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह - चंद्रशेखर और गुलजारी लाल नंदा जैसे तमाम बड़े नेताओं को राजनीति की एबीसीडी सिखाने वाली इस यूनिवर्सिटी में अब छात्रसंघ के चुनाव नहीं होंगे, बल्कि इसकी जगह छात्र परिषद काम करेगी.

यूनिवर्सिटी की दलील है कि छात्रसंघ की वजह से कैम्पस में आए दिन अराजकता का माहौल रहता था, इसलिए इसे ख़त्म किया जा रहा है, जबकि छात्रों ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है. छात्रों ने बेमियादी आंदोलन शुरू कर दिया है और आगे उग्र प्रदर्शन की भी धमकी दी है.

इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन और नारेबाजी कर वीसी दफ्तर का घेराव कर रहे ये छात्र छात्रसंघ पर पाबंदी लगाकर उसे ख़त्म किये जाने का विरोध कर रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन अपनी नाकामियों को छिपाने और भ्रष्टाचार के गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए छात्रसंघ को खत्म कर रहा है. दरअसल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कई महीने पहले ही छात्रसंघ भवन में ताला जड़वा दिया.

सोमवार को हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में छात्रसंघ को ख़त्म कर उसकी जगह छात्र परिषद शुरू किये जाने का फैसला ले लिया गया. तीस जून को होने वाली एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में मुहर लगते ही इसका औपचारिक एलान भी हो जाएगा. दरअसल छात्रसंघ में पदाधिकारियों को छात्र सीधे तौर पर चुनते हैं, जबकि छात्र परिषद में सभी क्लासेज से दो -दो प्रतिभाशाली छात्रों को चुनकर उन्ही में से पदाधिकारी चयनित होते हैं.

यूनिवर्सिटी प्रशासन की दलील है कि चुनाव लड़कर सियासी ज़मीन मजबूत करने के लिए तमाम छात्रनेता जानबूझकर कैम्पस में पड़े रहते हैं. वह सियासी फायदे के लिए बेवजह के आंदोलन करते हैं. छात्रों को भड़काते हैं और कैम्पस का माहौल खराब कर अराजकता के हालात पैदा करते हैं. यूनिवर्सिटी ने इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया है.

इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी से राजनीति का ककहरा सीखकर तमाम लोग देश की सियासत में बुलंदियों तक पहुंचे हैं. ऐसे लोगों में पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, चंद्रशेखर, गुलजारी लाल नंदा, पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी और मदन लाल खुराना समेत तमाम नाम शामिल हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री डा० मुरली मनोहर जोशी और सांसद रीता बहुगुणा जोशी समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने इस यूनिवर्सिटी में बतौर शिक्षक पढ़ाया है.

छात्रसंघ ख़त्म किये जाने के विरोध में छात्रों ने मंगलवार से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. छात्र संगठनों ने आज वीसी दफ्तर का घेराव कर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की. छात्र नेताओं का कहना है कि वाइस चांसलर एके हांगलू के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच चल रही है. एमएचआरडी ने इसी वजह से यहां टीचर्स की भर्ती पर रोक लगा रखी है. छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ये कदम उठाया है. छात्रसंघ बहाली के लिए छात्रों ने उग्र आंदोलन शुरू करने की भी धमकी दी है.

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