यूपी: संगम नगरी में है मां का अनोखा स्वरूप, जहां मूर्ति की जगह होती है पालने की पूजा
शक्तिपीठ अलोप शंकरी में माता की कोई मूर्ति नहीं है वहां मूर्ति के बजाय एक पालने की पूजा की जाती है.मंदिर में तो भक्तों की इतनी भीड़ जमा है, कि वहां तिल रखने की भी जगह नहीं है.
प्रयागराज: शारदीय नवरात्र की अष्टमी पर आज संगम नगरी प्रयागराज के देवी मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. शक्तिपीठ अलोप शंकरी समेत दूसरे देवी मंदिरों में महागौरी स्वरुप में देवी मां का भव्य श्रृंगार किया गया है. अष्टमी पर देवी मां के दर्शन और पूजन के लिए मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है.
शक्तिपीठ अलोप शंकरी समूची दुनिया में यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है और श्रद्धालु एक पालने की पूजा करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़ शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ की उंगलियां यहां गिरकर अलोप यानी अदृश्य हो गई थीं, इसीलिये यहां देवी के पालने की पूजा की जाती है.
नवरात्र पर शक्तिपीठ अलोप शंकरी समेत सभी देवी मंदिरों को ख़ूबसूरती से सजाया गया है तो साथ ही सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किये गए हैं. दूर दूर से आए भक्त पालने की परिक्रमा भी करते हैं.
शक्तिपीठ अलोप शंकरी मंदिर के साथ ही कल्याणी देवी, ललिता देवी व दूसरे देवी मंदिरों में सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही श्रद्धालुओं की लम्बी लाइन लगी हुई है. इन मंदिरों में लोग देवी मां के दर्शन-पूजन कर उनसे अपनी कामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद ले रहे हैं.
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