नई दिल्लीः यूपी में योगी सरकार ने हथियारों के लाइसेंस जारी करने पर लगी रोक हटा ली है. यही नहीं अब शस्त्र लाइसेंस लेने के नियम भी बहुत आसान कर दिए गए हैं. हथियार लेने से पहले अब फायरिंग टेस्ट नहीं देना पड़ेगा. साल भर में अब दो सौ कारतूस मिलेंगे लेकिन हथियार ख़रीदने के लिए आधार कार्ड या फिर वोटर पहचान पत्र की कॉपी लगाना होगी .यूपी के गृह विभाग ने इस मामले में नया आदेश जारी कर दिया है. हाई कोर्ट से मिले निर्देश के बाद गृह सचिव भगवान स्वरूप ने राज्य के सभी डीएम को चिट्ठी भी भेज दी है. यूपी में 75 जिले हैं.


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक तरह से यूपी में हथियारों के नए लाइसेंस बनाने पर रोक लगा दी थी. सिर्फ़ कुछ विशेष मामलों में ही लाइसेंस जारी करने की छूट थी. लेकिन ये रोक हटने के बाद से एक पार फिर लाइसेंस लेने के लिए होड़ मच जाएगी. योगी सरकार ने तो अब नियमों में भी छूट दे दी है. यूपी में लाइसेंसी हथियार रखना स्टेटस सिंबल माना जाता है.

प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि सरकार ने शस्त्र लाइसेंस पर लगी रोक को हटा लिया है. नया लाइसेंस आयुध नियमावली-2016 के तहत दिया जाएगा. वहीं दूसरे और तीसरे लाइसेंस के लिए डीएम द्वारा औचित्य स्थापित होने पर ही दिया जाएगा. इसके लिए मंडलीय और शासन स्तर पर गठित कमेटी की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक दिसंबर 2014 में जितेंद्र सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपराध पीड़ित, वरासत और खिलाड़ियों को छोड़कर बाकी लोगों को शस्त्र लाइसेंस दिए जाने पर रोक लगा दी थी. लेकिन नवंबर 2017 में कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश वापस ले लिया. इसके बाद से ही सरकार शस्त्र लाइसेंस से रोक हटाने की कवायद में जुटा था. लंबी प्रक्रिया और विधि विशेषज्ञों से राय मशिवरा के बाद सोमवार को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया.

इनके आवेदनों को मिलेगी प्राथमिकता
नए शासनादेश के मुताबिक अपराध पीडि़त, विरासतन, व्यापारी व उद्यमी, बैंक, संस्थागत, वित्तीय संस्थाएं, विभिन्न विभागों के ऐसे कर्मी जो प्रवर्तन कार्यों में लगे हैं, सैनिक, अयुद्ध सैनिक, पुलिस बलों के कर्मचारी, एमएलए, एमएलसी, एमपी, राज्य से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के निशानेबाजों के आवेदनों को प्राथमिकता दी जाएगी. बैंको की सुरक्षा के लिए जारी किए जाने वाला लाइसेंस बैंक प्रबंधक के स्थान पर असलहा रखने वाले रिटेनर के नाम जारी होगा.

नहीं होगा फायरिंग टेस्ट
नए आदेश में शस्त्र लाइसेंस के लिए जरूरी फायरिंग टेस्ट को खत्म कर दिया गया है. अब लाइसेंस के लिए आवेदन से पहले खाली बंदूक से आवेदक की ट्रेनिंग कराई जाएगी. आवेदक को जिले की पुलिस लाइन एवं रक्षा बलों में कार्यरत आरमोरर से ट्रेनिंग सर्टिफिकेट लेना होगा. लाइसेंस से पहले आवेदक को गोली चलाने की मंजूरी नहीं होगा.

हर्ष फायरिंग पर निरस्त होगा लाइसेंस
नए आदेश के तहत लाइसेंसी असलहे से हर्ष फायरिंग करने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा. आयुध व गोला बारूद खरीदने के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड व पासपोर्ट में से किसी एक की फोटोकॉपी देनी पड़ेगी. आयुध व गोला बारूद बेचने वाले को ये दस्तावेज सुरक्षित रखने होंगे. एसडीएम व सीओ नियमित अंतराल पर इसका औचक निरीक्षण करेंगे. साथ ही क्रय विक्रय व सेफ कस्टडी में रखे शस्त्रों के दुरुपयोग को रोकने का काम भी देखेंगे.

एक बार में 100 और साल में ले सकेंगे 200 कारतूस
सरकार ने कारतूसों की खरीदने की संख्या बढ़ा दी है. अब शस्त्र लाइसेंस धारक एक बार में 100 और साल में 200 कारतूस ले सकेंगे. कारतूसों के खोखे जमा करने की बाध्यता भी खत्म कर दी गयी है. हालांकि दोबारा कारतूस खरीदने के दौरान 80 फीसदी खोखे जमा करने पड़ेंगे. आदेश में डीजीपी को निर्देश दिए गए हैं कि वह हर दो माह में खोखों को नष्ट कराने की व्यवस्था कराएंगे. प्रत्येक चार खोखों पर पांच कारतूस ले सकेंगे.

लाइसेंस फीस में बदलाव नहीं
राज्य सरकार ने नये लाइसेंस के लिए फीस में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है. तीन साल में लाइसेंस के नवीनीकरण की अनिवार्यता को भी बरकरार रखा है. आवेदन के नए फार्म में आवेदक को खुद के बारे में कई अहम जानकारियां देनी होंगी.

दो साल में शस्त्र नहीं खरीदा तो लाइसेंस होगा निरस्त
अगर लाइसेंस धारक ने लाइसेंस जारी होने के दो साल के अंदर असलहा नहीं खरीदा तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा. हालांकि यह व्यवस्था की गई है कि अगर लाइसेंस धारक शस्त्र न खरीद पाने के लिए कोई उचित वजह बताएगा तो लाइसेंस जारी करने वाला अधिकारी इस समय सीमा को एक और साल बढ़ा सकता है.