लखनऊ: बीएसपी और एसपी के गठबंधन से निपटने के लिए बीजेपी अब आरक्षण में आरक्षण कार्ड खेलने की तैयारी में है. बीजेपी पिछड़ों को अति पिछड़ा, पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा में बांटने का फार्मूला बना रही है. इस दांव से बीजेपी समाजवादी पार्टी को अलग थलग करना चाहती है.
यूपी में पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. इसमें शुरू से ही यादव जाति का दबदबा रहा है, जो समाजवादी पार्टी के बेस वोट बैंक माने जाते हैं. बीएसपी से गठबंधन के बाद दलित वोट भी एसपी के साथ हो गया. मुस्लिम वोटर पहले से ही पार्टी के साथ हैं. दलित, मुस्लिम और यादव मिल कर एक बड़ा वोट बैंक बन जाता है. इन सबके साथ आ जाने से बीजेपी फूलपुर और गोरखपुर में उपचुनाव हार गई थी.
एसपी और बीएसपी गठबंधन से मुकाबले के लिए बीजेपी अब कोटे में कोटा फार्मूला लाने जा रही है. बीजेपी के फार्मूले के मुताबिक़ पिछड़ा समुदाय अब तीन हिस्सों में बांट दिया जाएगा. पिछड़ी जातियों को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को पिछड़े, अति पिछड़े और अत्यंत पिछड़े के हिसाब से बांट दिया जाएगा. समाजवादी पार्टी ने अब पिछड़ों को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग की है.
लोक सभा और यूपी विधान सभा चुनाव में गैर यादव पिछड़ी जातियों ने गोलबंद होकर बीजेपी को वोट दिया था. इससे दोनों चुनावों में पार्टी की बंपर जीत हुई. इन्हे अपना बनाने के लिए ही बीजेपी ने अब ये आरक्षण का खेल खेलना चाहती है. पिछ्ड़ों में यादव 19, कुर्मी 7.4, लोध 5, पाल-बघेल 4.43, केवट-निषाद 4.3 और जाट 3.6 प्रतिशत हैं. खबर है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी आरक्षण के इस फार्मूले को हरी झंडी दे दी है.