यूपी: बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल ने साधा गठबंधन पर निशाना, मायावती को 'होलिका' तो अखिलेश का कहा- 'कल का लड़का'
बता दें कि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे नरेश अग्रवाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. नरेश अग्रवाल एसपी की ओर से राज्यसभा ना भेजे जाने से नाराज थे. नरेश अग्रवाल यूपी के हरदोई जिले के रहने वाले हैं. एसपी में आने से पहले वो मायावती की पार्टी बीएसपी में रह चुके हैं. नरेश अग्रवाल को जोड़तोड़ की राजनीति का माहिर माना जाता है.
हरदोई: अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाने वाले बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने मायावती पर निशाना साधा है. नरेश अग्रवाल ने मायावती की तुलना होलिका से की और कहा कि होलिका दहन की शुरूआत हरदोई से हुई थी, तब भी बुआ जली थी और अब चुनावी माहौल में बुआ-बबुआ की बारी है. नरेश अग्रवाल हरदोई के श्रवण देवी मंदिर आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे.
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गठबंधन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि गठबंधन का हाल टिटहरी चिड़िया की तरह है जो पैर ऊपर करके सोचती है कि आकाश गिरा तो वह रोक लेगी. वैसा ही हाल बिना नेता चुने 22 दलों के गठबंधन का है जो पीएम नरेंद्र मोदी को रोकने का ख्वाब देख रहा है. उन्होंने कहा कि गठबंधन तो पति पत्नी के बीच होता है- भाई बहन और बुआ के बीच कैसा गठबंधन.
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उन्होंने पूर्व सीएम अखिलेश यादव हमला करते हुए उन्हें कल का लड़का करार दिया. उन्होंने कहा कि अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाकर की गलती की. नरेश अग्रवाल यही नहीं रुके और कहा कि बंगाल खाली करते समय टोटी उखाड़ ले गए .अब जनता की भी टोटी उखाड़ना चाहते हैं.
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नरेश अग्रवाल और विवादित बयानों का पुराना नाता रहा है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी निशाने पर लिया. उन्होंवे कहा कि राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि देश में 22 लाख पद खाली हैं, उनकी सरकार बनी तो वह इसे भरेंगे. इस पर अग्रवाल ने कहा कि यह काम उन्होंने अपने पहले की सरकारों के दौरान किया होता तो आज पद खाली नहीं होते.
राजनीति में कई नावों की सवारी कर चुके हैं नरेश अग्रवाल नरेश अग्रवाल नें अपनी राजनीतिक पारी 1980 में कांग्रेस से शुरु की थी. इसके बाद दल बदलने का और जिसकी सत्ता हो उसके करीब रहने का इतिहास रहा है. कांग्रेस छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाई और बीजेपी की कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री बने थे. 2002 में मुलायम सिंह की सरकार में शामिल हुए और फिर मुलायम की सत्ता जाते ही बीएसपी का दामन थाम लिया था. 2007 में चुनाव सपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा लेकिन मायावती की सरकार आते ही वो बीएसपी में शामिल हो गए. 2012 में सपा की अखिलेश सरकार के आते ही वो वापस सपा मे आए और राज्यसभा पहुंच गए. अब सपा की सरकार 2017 में चली गई और राज्यसभा नहीं मिला तो बीजेपी में शामिल हुए.