नई दिल्ली: बीजेपी की लिस्‍ट में चल रहा जोड़-तोड़ बीजेपी सांसदों को रास नहीं आ रहा है. इसी कड़ी में हरदोई से बीजेपी सांसद अंशुल वर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. अंशुल टिकट कटने के बाद से ही बगावती तेवर में नजर आ रहे थे. सांसद ने  बीजेपी  के कैंपेन ''मैं भी चौकीदार'' पर तंज कसते हुए बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में तैनात चौकीदार को अपना इस्तीफा सौंपा. हरदोई से अंशुल वर्मा का टिकट काटकर जय प्रकाश रावत को उम्मीदवार बनाया गया है.


गार्ड को इस्तीफा सौंपने पर उन्होंने कहा कि मुझे असली चौकीदार को ही अपना इस्तीफा सौंपना ठीक लगा.


बता दें कि गोरखपुर-बस्‍ती मंडल की नौ सीटों पर भी कमोबेश ऐसा ही हाल रहा है. छह सीटों पर तो बीजेपी ने पत्‍ते खोल दिए हैं. लेकिन, वीआईपी कही जाने वाली गोरखपुर, जूताकांड से सियासत गर्माने वाली संतकबीरनगर और देवरिया सीट पर भाजपा ने पत्‍ते नहीं खोले हैं. वहीं कुशीनगर सीट से सिटिंग एमपी का टिकट कट गया है. बांसगांव और बस्‍ती सीट पर भी सिटिंग एमपी पर तलवार लटक रही थी. लेकिन, उन्‍हें जीवनदान मिल गया है.


ऐसा ही हाल बस्‍ती लोकसभा सीट का भी है. माना जा रहा था कि वर्तमान सांसद हरीश द्विवेदी का इस बार टिकट कट जाएगा. क्‍योंकि स्‍थानीय स्‍तर पर नेताओं और जनता में उन्‍हें लेकर खासी नाराजगी भी रही है. लेकिन, संतकबीनगर में जूता कांड की सुर्खियों में भाजपा की साख को बट्टा लगने के कारण बस्‍ती सीट पर दूसरे उम्‍मीदवार को उतारने का रिस्‍क बीजेपी को लेना ठीक नहीं लगा. यही वजह है कि सीट जाने के डर से एक बार फिर सिटिंग एमपी हरीश द्विवेदी पर बीजेपी ने दांव लगाया है.


सियासी जूताकांड से राष्‍ट्रीय सुर्खियों में आने वाली संत‍कबीरनगर सीट पर संशय की तलवार लटक रही है. गोरखपुर की तरह यहां के भी उम्‍मीदवार के नाम की घोषणा शीर्ष नेतृत्‍व ने अभी नहीं की है. उसका कारण भी साफ है. जूताकांड में बीजेपी की इतनी किरकिरी कर दी है कि सांसद शरद त्रिपाठी का विकल्‍प खोजा जा रहा है. माना जा रहा है कि उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी पर इस बार बीजेपी दांव आजमा सकती है. क्‍योंकि वे बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता भी हैं. इसके साथ ही उनकी छवि भी साफ-सुथरी है. यही वजह है कि उन्‍हें मैदान में उतारकर बीजेपी शीर्ष नेतृत्‍व डैमेज कंट्रोल की रणनीति आजमा सकता है.