गोरखपुरः साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 और 2017 की लहर से बड़ी सुनामी ने विपक्षी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया. देश, यूपी और पूर्वांचल में भी इस सुनामी का असर देखने को मिला. खासकर गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी नौ सीटों पर भगवा छाया रहा. कुशीनगर में बीजेपी ने रिकार्ड मतों के अंतर से परचम लहराया. तो वहीं बस्ती में कांटे की टक्कर के बीच सबसे कम मतों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई.
गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी नौ लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल कर साल 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह ही इतिहास रच दिया है. मोदी-योगी और अमित शाह ने जिस तरह से हर वर्ग के लोगों को विकास के विश्वास की डोर में बांधने की कोशिश चुनाव के पहले की थी, उसमें वे सफल भी रहे हैं. गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी नौ लोकसभा सीटों में कुशीनगर में जीत का अंतर सर्वाधिक रहा. यहां से बीजेपी के प्रत्याशी विजय दुबे ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गठबंधन से सपा प्रत्याशी नथुनी कुशवाहा को रिकार्ड 3,36,135 मतों से शिकस्त दी. विजय दुबे को 5,93,253 मत मिले. तो वहीं सपा के नथुनी कुशवाहा को 2,57,118 मतों पर संतोष करना पड़ा. जबकि जीत के प्रबल दावेदार रहे कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा.
महराजगंज
दूसरी सबसे बड़ी जीत महराजगंज में देखने को मिली. यहां के बीजेपी प्रत्याशी और पांच बार के सांसद पंकज चौधरी ने 3,28,150 मतों के अंतर से जीत हासिल की. उन्होंने 7,08,925 मत हासिल किए. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के अखिलेश सिंह को 3,78,092 मत ही मिले. बीजेपी सांसद पंकज चौधरी आठवीं बार चुनाव मैदान में उतरे थे. इसके पहले वे सात बार चुनाव लड़ चुके हैं. जिसमें पांच में उन्हें जीत और दो में हार का सामना करना पड़ा था. एक बार वे जीत की हैट्रिक भी लगा चुके हैं.
गोरखपुर
उप-चुनाव में गोरखपुर सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखकर पवेलियन में वापस लौटना पड़ा था. उस सीट पर वापसी कर बीजेपी के रविकिशन ने पहली बार गोरखपुर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर रिकार्ड मतों के साथ जीत दर्ज की. बीजेपी प्रत्याशी रविकिशन ने गोरखपुर-बस्ती मंडल में तीसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गठबंधन से सपा प्रत्याशी रामभुआल निषाद को 3,01,664 रिकार्ड मतों के अंतर से शिकस्त दी. रविकिशन को 7,17,122 मत, तो वहीं रामभुआल निषाद को 4,15,458 मत मिले. उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ के रिकार्ड को ध्वस्त करते हुए सात लाख से अधिक वोट प्राप्त कर रिकार्ड बनाया.
देवरिया
देवरिया में भी बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया. हालांकि जूताकांड में किरकिरी के बाद विपक्षी पार्टियां पूरे आत्मविश्वास से भरी रही हैं. लेकिन, जनता ने विकास के आगे जूते और जूता कांड को तरजीह नहीं दी. उन्होंने पाक-साफ छवि वाले डा. रमापति राम त्रिपाठी को अपना सांसद चुना और कलराज मिश्र के काल में हुए विकास को ध्यान में रखकर उन्हें जिताया. देवरिया सीट से पहली बार चुनाव लड़ रहे डा. रमापति राम त्रिपाठी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के विनोद कुमार जायसवाल को 2,46,481 मतों के अंतर से पराजित किया. उन्हें 5,75,115 वोट, तो वहीं विनोद जायसवाल को 3,28,634 मत मिले.
बांसगांव
बांसगांव में भी बीजेपी के कमलेश पासवान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गठबंधन से बसपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री सदल प्रसाद को 1,53,468 मतों के अंतर से हराकर जीत की हैट्रिक लगाई. कमलेश को 5,46,673 मत और उनके निकटम प्रतिद्वंदी बसपा के सदल प्रसाद को 3,93,205 मत हासिल हुए. हालांकि इस सीट पर भी पूर्व में बीजेपी के सांसद कमलेश पासवान और विकास को लेकर नाराजगी साफ दिखाई देती रही है. लेकिन, मोदी की सुनामी के आगे कोई भी गणित काम नहीं आया. अंततः कमलेश पासवान ने सुखद जीत हासिल कर जीत की हैट्रिक लगाई और जनता का आशीर्वाद प्राप्त किया.
सलेमपुर
सलेमपुर में बीजेपी के रविन्द्र कुशवाहा ने लगातार दूसरी बात जीत हासिल कर बीजेपी का परचम लहराया है. उन्होंने 1,12,477 मतों के अंतर से जीत हासिल कर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के आरएस कुशवाहा को हराया. रवीन्द्र को 4,67,241 और आरएस कुशवाहा को 3,54,764 मत हासिल हुए. सलेमपुर में भी चुनाव के पूर्व वहां सांसद और विधायक को विरोध का सामना करना पड़ा था. ऐसे में विपक्षी पार्टियों के हौसले बुलंद रहे हैं. लेकिन, बीजेपी प्रत्याशी ने जीत हासिल कर विपक्ष की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
डुमरियागंज
डुमरियागंज में बीजेपी सांसद और प्रत्याशी जगदम्बिका पाल शुरू से ही बढ़त बनाए रहे. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के आफताब आलम को 1,05,321 मतों के अंतर से पराजित किया. हालांकि चुनाव के पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि आफताब उन्हें कड़ी टक्टर दे रहे हैं. लेकिन, मुकाबला हर राउंड में साफ होता नजर आता रहा. अंततः बीजेपी के जगदंबिका पाल ने जीत हासिल कर बीजेपी से दूसरी बार ताज पहनने का गौरव हासिल कर लिया. इसके पहले साल 2009 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर संसद तक पहुंचे थे.
संतकबीरनगर
संतकबीरनगर में भी शुरुआती रुझान में कड़ा मुकाबला देखने को मिला. हार-जीत का अंतर ऊपर-नीचे होता रहा. संतकबीरनगर में बीजेपी की साख भी दांव पर लगी हुई थी. क्योंकि वहां से बीजेपी ने जूताकांड के बाद सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर गोरखपुर से सपा सांसद रहे और चुनाव के पहले बीजेपी में शामिल हुए प्रवीण निषाद को टिकट देकर मैदान में उतारा था. यहां पर प्रवीण को बसपा के भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी से कड़ी टक्कर मिली. शुरुआती चरण में लगतार कुशल तिवारी बढ़त बनाए हुए थे. उसके बाद प्रवीण निषाद ने बढ़त बनाते हुए अंतिम चरण में आखिरकार जीत हासिल कर ली. इस सीट पर बीजेपी ने बसपा को 35,268 वोटों से शिकस्त दी. प्रवीण निषाद को 4,66,167 मत, तो वहीं कुशल तिवारी को 4,30,899 मत हासिल हुए.
बस्ती
बस्ती संसदीय सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला. बीजेपी सांसद और प्रत्याशी हरीश द्विवेदी के लिए ये लड़ाई आसान नहीं थी. पहले चरण से लेकर अंत तक वोटों के अंतर का ऊपर नीचे होना, सांसें रोक देने वाला था. हालांकि उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के राम प्रसाद चौधरी को 30,354 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की. हरीश द्विवेदी को 4,71,162 मत, तो वहीं राम प्रसाद चौधरी को 4,40,808 मत हासिल हुए.
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