यूपी में सहयोगी दलों से अलग होना चाहती है बीजेपी, 13 सीटों पर होने हैं उपचुनाव
लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद अब बीजेपी उपचुनाव में पूरी ताकत से उतरने जा रही है. पार्टी ने 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपनी ताकत झोंक दी है. बीजेपी ने उन सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति बनाई है, जिन्हें वह पहले नहीं जीत सकी थी.
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने स्पष्ट रूप से 2022 विधानसभा चुनाव में अपने सहयोगियों के बिना चुनाव लड़ने का फैसला किया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से छुटकारा पाने के बाद पार्टी अब आगामी विधानसभा उपचुनाव में अपना दल को भी दरकिनार करने की तैयारी कर रही है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "जिन 13 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, पार्टी सभी पर चुनाव लड़ेगी."
सूत्रों के अनुसार, प्रतापगढ़ विधानसभा सीट पर अपना दल के विधायक संगमलाल गुप्ता के लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ सीट पर बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज करने के बाद विधानसभा सीट खाली हो गई थी. बीजेपी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है.
बीजेपी अपना दल को इस सीट पर लड़ाने के मूड में नहीं है, जिस पर अनुप्रिया पटेल की अगुआई वाली पार्टी 2007 में जीती थी.
सूत्रों के अनुसार, अपना दल बीजेपी से नाराज है, लेकिन उसके नेताओं ने इस पर बयान देने से इंकार कर दिया. पार्टी 'वेट एंड वाच' की नीति पर काम कर रही है.
बीजेपी के एक नेता ने कहा, "हम अपना व्यक्तिगत नेतृत्व विकसित करने पर ध्यान दे रहे हैं, जो विभिन्न जातियों, समुदायों का प्रतिनिधित्व करे, जिससे हमें अन्य पार्टियों पर निर्भर न होना पड़े."
राजभर समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली सुभासपा के अलग होने के बाद बीजेपी ने इस नुकसान की भरपाई के लिए अनिल राजभर को कैबिनेट में शामिल किया है.
अपना दल कुर्मी प्रधान पार्टी है, लेकिन हाल ही में मंत्रिमंडलीय विस्तार में योगी आदित्यनाथ ने दो कुर्मी नेताओं -नीलिमा कटियार और राम शंकर सिंह पटेल- को मंत्रिमंडल में शामिल किया है. स्पष्ट है कि कुर्मी समाज को रिझाने की बात पर बीजेपी अपना दल से हटकर सोचना चाहती है.