लखनऊ: उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं इसके बाद मूल्यांकन का काम शुरू होना है. परीक्षा जल्दी शुरू होने के कारण परिणाम भी जल्द घोषित करने हैं. इसीलिए बोर्ड ने कापियों का मूल्यांकन आठ मार्च से शुरू करने का फैसला किया है.


बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि इस बार कापियों का मूल्यांकन हर हाल में 15 दिनों में पूरा करना है. इसके लिए विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है.


हाईस्कूल-इंटर की कॉपियां जांचने के लिए तकरीबन सवा लाख शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाएगी.


उन्होंने बताया कि इस बार मूल्यांकन के बाद 100 प्रतिशत कापियों का अंकेक्षण (ऑडिट) करवाने का प्रस्ताव तैयार दिया गया है. शासन से अनुमति मिलने के बाद सभी कॉपियों की दोबारा जांच करवाएंगे ताकि मूल्यांकन को लेकर होने वाली शिकायतें कम की जा सके.


गौरतलब है कि इस बार परीक्षाएं दो मार्च को ही खत्म हो जाएंगी लेकिन चार मार्च को शिवरात्रि का स्नानपर्व होने के कारण कॉपियों को मूल्यांकन केंद्रों तक भेजने में परेशानी को देखते हुए मूल्यांकन की शुरुआत की तारीख आठ मार्च तय की गई है. इसके एक महीने बाद अप्रैल के दूसरे या तीसरे सप्ताह में परिणाम घोषित किया जाएगा.


इस बार प्रदेश भर में 231 केंद्र बनाए जा रहे हैं. छात्र-छात्राओं की संख्या में नौ लाख की कमी होने के कारण तकरीबन डेढ़ दर्जन मूल्यांकन केंद्र कम हुए हैं. बोर्ड परीक्षाएं सात फरवरी से शुरू होकर दो मार्च तक चलेंगी. हाईस्कूल की परीक्षा जहां 28 फरवरी को समाप्त हो जाएगी, वहीं इंटरमीडिएट की परीक्षा दो मार्च को सम्पन्न होगी.


सात फरवरी से शुरू हुई दसवीं क्लास की परीक्षा अठाइस फरवरी को ख़त्म होगी, जबकि बारहवीं क्लास की परीक्षा दो मार्च तक चलेगी. दसवीं क्लास में इस बार इकतीस लाख पंचानबे हजार छह सौ तीन स्टूडेंट शामिल हुए हैं, जबकि बारहवीं क्लास के छब्बीस लाख ग्यारह हजार तीन सौ उन्नीस बच्चे परीक्षा दे रहे हैं.

यूपी के सभी पचहत्तर जिलों में हो रही परीक्षा के लिए आठ हजार तीन सौ चौवन सेंटर्स बनाए गए हैं. इस बार 1314 सेंटर्स को संवेदनशील और 448 केंद्रों को अति संवेदनशील घोषित किया गया है. परीक्षा कराने में तकरीबन तीन लाख टीचर्स व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. इसके अलावा नक़ल रोकने के लिए एक हजार से ज़्यादा फ़्लाइंग स्क्वायड लगाए गए हैं.

नक़ल रोकने के लिए इस बार की परीक्षा में एसटीएफ और एलआईयू को भी लगाया गया है. हर मंडल में शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है.