कश्मीर में नौकरी करने गए यूपी के युवकों का बड़ा खुलासा, ‘पत्थर फेंकने के लिए किया गया ब्लैकमेल’
इन युवकों का कहना है कि कश्मीर में जब भी सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकाउंटर करते थे तो आतंकवादी गांव में घुस जाते थे और किसी भी मकान में शरण ले लेते थे.
बागपत/सहारनपुर: जम्मू काश्मीर में आतंकवादियों को सेना से बचाने के लिए पत्थरबाजों का गैंग तैयार किया जा रहा है. इस गैंग में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के युवाओं को भी नौकरी देने के नाम पर शामिल किया जा रहा है. बागपत और सहारनपुर से जम्मू-कश्मीर गए युवकों ने बड़ा खुलासा किया है. इन युवकों का कहना है कि हमें नौकरी का लालच देकर सेना पर पत्थर फेंकने की ट्रेनिंग दी गई और ब्लैकमेल किया गया.
खुलासे से उड़ी केंद्र सरकार की नींद
बागपत और सहारनपुर के इन युवकों ने बताया है कि वह बहुत मुश्किल से अपनी जान बचाकर पत्थरबाजों के चंगुल से छूटकर घर लौटे हैं. कपड़ें सिलाई की नौकरी करने गए इन युवकों के खुलासे ने केंद्र सरकार की नींद उड़ा दी है. खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गईं हैं और मामले की जांच की जा रही है कि आखिर ये कनेक्शन क्या है?
पत्थकबाज़ी करने के लिए धमकाया गया- पीड़ित युवक
युवकों ने बताया कि इसी साल फरवरी में कुछ लड़के का ग्रुप कश्मीर में पुलवामा के लस्तीपुरा में सिलाई कढ़ाई का काम करने गया था. काम के बदले इनकों बीस हजार रुपए देने का वादा किया गया था लेकिन कुछ दिन बाद हमसे सफाई और गाड़ी धुलवाई जाने लगी. हम लोगों को पत्थरबाज़ी करने के लिए धमकाया भी गया.
प्रतीकात्मक तस्वीरसेना का ध्यान भटकाने के लिए करते हैं पत्थरबाजी
इन युवकों का कहना है कि कश्मीर में जब भी सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकाउंटर करते थे तो आतंकवादी गांव में घुस जाते थे और किसी भी मकान में शरण ले लेते थे. इसके बाद पत्थरबाज सेना का ध्यान भटकाने के लिए उनपर पत्थरबाजी शुरू कर देते थे.
पुलिस नहीं कर रही मदद- पीड़ित युवक
बागपत जिले की बड़ौत तहसील के गुराना रोड निवासी पीड़ित मास्टर नसीम और अंकित का कहना है कि पत्थरबाजों में खुद को फंसा देखकर उसने एक स्थानीय व्यक्ति से मदद मांगी. उसने कश्मीर से निकालने के लिए दस हजार रूपये मांगे. नसीम ने अपने घर से दस हजार रूपये मंगवाये और साथियों के साथ किसी तरह गांव पहुंचा. अब भी नसीम और उसके साथियों को कश्मीर से धमकी भरे फोन मिल रहे हैं. पीड़ित युवकों का कहना है कि उन्होंने पुलिस से शिकायत भी की है, लेकिन कोई मदद नहीं हो रही है.