नई दिल्लीः यूपी के दोनों उपचुनाव समाजवादी पार्टी ही लड़ेगी. अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद आरएलडी नेता जयंत चौधरी भी मान गए. दोनों नेताओं की लखनऊ में भेंट हुई. कांग्रेस चाहती थी कि कैराना से जयंत चौधरी चुनाव लड़ें. लेकिन अखिलेश इसके लिए तैयार नहीं हुए. साझा विपक्ष के लिए कांग्रेस ने ये ज़िद छोड़ दी. मायावती तो पहले ही उपचुनाव न लड़ने का फ़ैसला कर चुकी हैं. आरएलडी कभी भी भरोसे का साथी नहीं रहा है.
पश्चिमी यूपी के कैराना में लोकसभा का और नूरपुर में विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी नेता हुकुम सिंह की मौत से कैराना की सीट ख़ाली हुई है. खबर है कि उनकी बेटी मृगांका सिंह को पार्टी टिकट दे सकती है. लेकिन पेंच इस बात को लेकर था कि क्या विपक्ष एकजुट रहेगा? शुरुआती बयानबाज़ी के बाद बीजेपी को रोकने के लिए ऐसा ही हुआ. समाजवादी पार्टी ही कैराना से लड़ेगी. अब सिर्फ़ उम्मीदवार के नाम का एलान होना बाकी है. पार्टी ने मुस्लिम चेहरे पर क़िस्मत आज़माने का मन बनाया है. तो ऐसे में तबस्सुम हसन का नंबर आ सकता है. उनके बेटे नाहिद कैराना से विधायक हैं.
कैराना में मुसलमानों का दबदबा रहा है. 17 लाख में से 5 लाख से भी अधिक मुस्लिम वोटर हैं. क़रीब 4 लाख पिछड़ी जाति के लोग हैं. 3 लाख के आसपास दलित वोटर हैं. जाट वोटरों की संख्या भी 2 लाख के क़रीब है. कैराना लोकसभा में विधानसभा की 5 सीटें आती हैं. शामली, कैराना और थानाभवन तो शामली जिले में हैं. सहारनपुर जिले से नकुड और गंगोह भी कैराना में ही पड़ते हैं.
बीएसपी के समर्थन से एसपी ने दो महीने पहले हुए दोनों लोकसभा उपचुनाव जीत लिए. गोरखपुर और फूलपुर सीट पर बीजेपी हार गई. सीएम योगी आदित्यनाथ के इस्तीफ़े से गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के इस्तीफ़े से फूलपुर सीट ख़ाली हुई थी. कांग्रेस ने दोनों जगहों पर अपने उम्मीदवार उतारे. लेकिन ज़मानत तक नहीं बचा पाये. बीजेपी को रोकने के लिए इस बार एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आरएलडी ने हाथ तो नहीं मन मिला लिया है.