(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रेप की घटनाओं के बीच यूपी से अच्छी खबर, 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू किए जाएंगे
हैदराबाद की घटना से यूपी सरकार ने सबक सीखने की कोशिश की है. यूपी की योगी सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला किया है. 218 फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू किए जायेंगे, इनमें से 144 अदालतों में सिर्फ़ रेप के मामले सुने जायेंगे.
नई दिल्ली: कुछ दिनों पहले एक खबर आई थी यूपी से. बागपत की अदालत ने रेप के एक केस में आरोपी के उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी. इस बात का ज़िक्र इसलिए क्योंकि आरोप तय होने पर कोर्ट ने पांच दिनों में फ़ैसला सुना दिया. ऐसा कभी कभार ही होता है. यहां अदालत ने पांच दिनों में फ़ैसला कर दिया. वरना तो दिन और हफ़्ते छोड़िए, सालों साल लग जाते हैं कोर्ट के चक्कर काटते काटते. बागपत में रेप की ये घटना 13 सितंबर की है. तीन साल की बच्ची के बलात्कार के बाद इलाक़े में हंगामा हुआ. नाराज़ लोग सड़कों पर उतर आए. मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार बताते हैं कि हमने डीएम, एसपी और सरकारी वकीलों के साथ मीटिंग की. ये तय हुआ कि इस केस में जल्द से जल्द ट्रायल हो और आरोपी को सजा मिले. आख़िर ऐसा ही हुआ. 25 नवंबर को आरोप तय हुए और 30 नवंबर को अदालत ने फ़ैसला सुना दिया.
बागपत के इस रेप कांड से एक बात तो साफ़ हो गई. अगर पुलिस, वकील और न्यायपालिका एकजुट होकर काम करें. तो फ़ैसला जल्द आ सकता है. बागपत में ऐसा ही हुआ. यहीं से रास्ता खुलता है सच्चे न्याय का. सच्चा इसीलिए कि अगर इंसाफ समय पर न मिले तो उसे अन्याय ही कहते हैं. अंग्रेज़ी में एक मशहूर कहावत है 'जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड'. यहां दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड की चर्चा करना जरूरी होगा. रेप की ये घटना 16 दिसंबर 2012 की है.
यूपी में 218 फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू किए जायेंगे
यूपी की योगी सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला किया है. 218 फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू किए जायेंगे. इनमें से 144 अदालतों में सिर्फ़ रेप के मामले सुने जायेंगे. बाक़ी के 74 फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में बच्चों के ख़िलाफ अपराध के केस चलाये जायेंगे. कैबिनेट की बैठक के बाद इस महत्वपूर्ण फ़ैसले का एलान हुआ है. यूपी की अलग-अलग अदालतों में 25 हज़ार से भी अधिक रेप के केस लंबित हैं. इन पर फ़ैसला सुनाने में कई साल लग जायेंगे. तारीख पर तारीख से निपटने के लिए ही योगी सरकार ने नए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की पहल की है. दो साल बाद ट्रायल कोर्ट ने सजा सुना दी. फिर हाई कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी. लेकिन अब तक दोषियों को फांसी की सजा नहीं हो पाई है.
हैदराबाद की घटना से यूपी सरकार ने सबक सीखने की कोशिश की है. ये भी सच है कि राज्य में पिछले तीन विधानसभा चुनाव क़ानून व्यवस्था के नाम पर ही लड़े गए हैं. वैसे तो यूपी में चुनाव 2022 में है. लेकिन उससे पहले योगी सरकार अपनी कमजोर कड़ी को ठीक करने के मूड में है. ये तय हुआ है कि पुलिस अब रात में महिलाओं को उनके घर तक छोड़ने का काम भी करेगी. इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 112 पर फ़ोन करना पड़ेगा. चंडीगढ़ में ये योजना कामयाब रही थी. इसे यूपी में कैसे लागू करें? इस पर डीजीपी ऑफिस काम कर रहा है.