एजेंसी के अधिकारियों ने बुलंदशहर, लखनऊ, फतेहपुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, नोएडा, गोरखपुर और देवरिया में कुल 12 स्थानों पर तलाशी ली. एक अधिकारी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर अवैध खनन के मामले दर्ज किए गए हैं.
सीबीआई के अधिकारियों ने बुलंदशहर के जिलाधिकारी अभय कुमार सिंह और देवरिया के पूर्व जिलाधिकारी विवेक सहित अन्य के ठिकानों पर तलाशी ली. अभय कुमार सिंह तब फतेहपुर के डीएम के रूप में तैनात थे, जबकि विवेक वर्तमान में लखनऊ में प्रशिक्षण और रोजगार निदेशक के पद पर तैनात हैं.
सीबीआई अधिकारी ने कहा कि अभय कुमार सिंह के आवास से एजेंसी ने 47 लाख रुपये नकद जब्त किए हैं, जबकि देवरिया के पूर्व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (अब सीडीओ, आजमगढ़ के रूप में तैनात) देवी शरण उपाध्याय के परिसर से 10 लाख रुपये नकद मिले.
सीबीआई ने लखनऊ में विवेक के परिसरों से संपत्ति के दस्तावेज भी जब्त किए. यह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं क्योंकि वे अवैध खनन से जुड़े हुए हैं.
खास बात यह है कि अखिलेश सरकार के दौरान फतेहपुर के जिलाधिकारी रहते हुए खनन में कथित अनियमितताओं के लिए अभय कुमार सिंह सीबीआई के शिकंजे में रहे हैं. वहीं 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और वह 2012 से 2013 के दौरान खनन मंत्री भी रहे.
अवैध खनन 2012 और 2016 के बीच हुआ था. सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि 2012 और 2016 के बीच उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित कुल 22 निविदाओं की जांच की जा रही है. इनमें से 14 तब पारित किए गए जब अखिलेश ने अपने पास खनन विभाग रखा और बाकी जब प्रजापति खनन मंत्री थे.
प्रजापति वर्तमान में एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी से गैंगरेप के आरोप में जेल में हैं. जून में सीबीआई ने अमेठी में उनके आवास की तलाशी ली. सीबीआई ने तब अमेठी में प्रजापति के तीन परिसरों सहित देशभर के 22 स्थानों पर तलाशी ली थी.
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में सीबीआई ने इस मामले के सिलसिले में उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कई ठिकानों पर छापे मारे थे. इनमें आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला के ठिकाने भी शामिल थे.
इस मामले में समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन लिपिक राम आश्रय प्रजापति, हमीरपुर से अंबिका तिवारी, खनन लिपिक राम अवतार सिंह व उनके रिश्तेदार के अलावा संजय दीक्षित आरोपी थे. सीबीआई के अनुसार, इन अधिकारियों ने 2012-16 के दौरान कथित रूप से अवैध खनन की अनुमति दी थी.
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, "आरोपी और कुछ अन्य व्यक्तियों ने अवैध रूप से नए सिरे से पट्टे बनाए और इन्हें आवंटित किया. इन व्यक्तियों को लीजधारकों व खान की देखभाल करने वाले ड्राइवरों से पैसे की वसूली करने की अनुमति दी गई थी."
इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा पांच जिलों शामली, हमीरपुर, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर और देवरिया में अवैध बालू खनन के आरोपों की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देने के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.